शिक्षा विभाग की हठधर्मिता ...! न्याय न मिलने से अर्धनग्न अवस्था में एसडीएम कार्यालय पहुंचे आलोक पांडेय, दिया धरना



गरोठ (जनकल्याण मेल)
शिक्षा विभाग की तानाशाही से त्रस्त एक पीड़ित आलोक पांडेय, अर्धनग्न अवस्था में पैदल मार्च करते हुए एसडीएम कार्यालय पहुंचे और धरना दिया।

उन्होंने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत सरकार के राजपत्र और मध्य प्रदेश वित्त मंत्रालय के स्पष्ट आदेशों को भी शिक्षा विभाग के अधिकारी नकली बता रहे हैं, और उन्हें कोर्ट जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

एसडीएम नहीं आए बाहर, तहसीलदार ने अधिकारियों को बुलाया -।

धरने के दौरान एसडीएम कार्यालय में घंटों इंतजार के बावजूद एसडीएम बाहर नहीं आए।

बाद में तहसीलदार किरण गेहलोत ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मौके पर बुलाया, लेकिन अधिकारियों ने आलोक पांडेय से खुली बातचीत करने के बजाय प्रशासनिक अफसरों से गुप्त चर्चा की।

इसके बाद पांडे से कहा गया,

"आप कोर्ट जाइए, तभी आपकी समस्या का समाधान होगा।"

"शादी के बाद कोई अतिरिक्त प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं"—पांडे

आलोक पांडेय ने वित्त मंत्रालय के नियमों और राजपत्र के प्रावधानों का हवाला देते हुए बताया कि शादी के बाद पति-पत्नी के उत्तराधिकार का अधिकार स्वतः तय हो जाता है, और इसके लिए किसी अलग प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होती।

लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी यह मानने को तैयार नहीं हैं,और सरकारी आदेशों को ही अवैध बताकर कोर्ट से नया आदेश लाने की मांग कर रहे हैं।

कोर्ट जाने के पैसे नहीं, प्रशासन ने कर दिया तंग!धरना देने के बावजूद कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकला।

आलोक पांडेय ने कहा कि उनके पास कोर्ट जाने के लिए पैसे नहीं हैं, और इसी का फायदा उठाकर शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं।

अब सवाल यह उठता है, कि क्या सरकारी आदेशों का पालन शिक्षा विभाग की मर्जी से होगा? क्या एक गरीब को न्याय के लिए सड़क पर उतरना पड़ेगा ...? आलोक पांडेय ने चेतावनी दी कि अगर जल्द न्याय नहीं मिला तो वह बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे!