एम्स भोपाल में जन औषधि सप्ताह के अंतर्गत “एक कदम मातृ शक्ति की ओर – महिला भागीदारी” विषय पर जागरूकता अभियान आयोजित




भोपाल [जनकल्याण मेल] एम्स के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में संस्थान ने जन औषधि सप्ताह (1-7 मार्च 2025) के तहत 4 मार्च 2025 को एम्स भोपाल में “एक कदम मातृ शक्ति की ओर – महिला भागीदारी” विषय पर एक जागरूकता अभियान आयोजित किया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रो. (डॉ.) के. पुष्पलता (प्रोफेसर एवं प्रमुख, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग) ने “मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन और गर्भावस्था व मासिक धर्म के दौरान स्वस्थ आहार संबंधी आदतें” विषय पर एक सत्र का संचालन किया। कार्यक्रम की थीम के अनुरूप, प्रो. (डॉ.) पुष्पलता ने मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने मासिक धर्म स्वास्थ्य की प्रकृति और दायरा समझाते हुए इसके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक प्रभावों को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी बताया कि मासिक धर्म स्वास्थ्य महिला के संपूर्ण स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है और समाज में इससे जुड़े सामाजिक एवं सांस्कृतिक मान्यताओं और मिथकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विशेष रूप से किशोरियों को मासिक धर्म की शारीरिक प्रक्रिया की जानकारी देने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे उन्हें आत्म-सम्मान और सशक्तिकरण प्राप्त हो सके।

इसके अलावा, डॉ. पुष्पलता ने मासिक धर्म स्वच्छता किट में उपलब्ध सामग्री जैसे सेनेटरी नैपकिन (दोबारा उपयोग किए जाने योग्य और डिस्पोजेबल दोनों), स्वच्छ पुन: उपयोग किए जाने वाले कपड़े के पैड, मेंस्ट्रुअल कप, टैम्पोन आदि की उपलब्धता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सांस लेने योग्य कपड़े पहनने, स्वच्छता बनाए रखने के लिए हर 5-6 घंटे में सेनेटरी नैपकिन बदलने, दुर्गंध से बचने और संक्रमण रोकने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके साथ ही, उन्होंने सेंटेड वैजिनल सफाई रसायनों के हानिकारक प्रभावों के बारे में भी बताया और इनके उपयोग से बचने की सलाह दी। उन्होंने वाशिंग, सैनिटेशन और हाइजीन (WASH) के महत्व पर जोर देते हुए, सुरक्षित और निजी शौचालय, घर पर कपड़े बदलने और सफाई के लिए सुरक्षित स्थान की उपलब्धता, तथा मासिक धर्म के दौरान स्कूल, कार्यस्थल और सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी बनाए रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने मासिक धर्म कचरे के उचित निपटान के तरीकों पर भी चर्चा की, जिसमें इस्तेमाल किए गए नैपकिन को कूड़ेदान में डालना और उसके बाद उसे भस्मक (incinerator) में जलाना या गड्ढे में दबाना शामिल है। डॉ. पुष्पलता ने मासिक धर्म स्वच्छता बनाए रखने के लाभ बताते हुए कहा कि इससे प्रजनन पथ संक्रमण, यौन संचारित रोग, त्वचा संबंधी विकार, यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण, भविष्य में बांझपन की समस्याएं, जननांग कैंसर और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव संभव है। अंत में, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) 6.2 पर प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य सभी के लिए 2030 तक उचित और समान स्वच्छता एवं स्वच्छता सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना, खुले में शौच को समाप्त करना और विशेष रूप से महिलाओं, लड़कियों और कमजोर वर्गों की आवश्यकताओं को पूरा करना है।

"मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन" पर यह इंटरएक्टिव सत्र एमएस ऑफिस बोर्ड रूम में आयोजित किया गया, जिसमें एमएस ऑफिस अधिकारियों, प्रो. (डॉ.) बबीता रघुवंशी (DMS), सुश्री चंचल देशवाल (मैनेजर, HLL लाइफकेयर), श्री अनुज तिवारी (असिस्टेंट मैनेजर, जन औषधि) और उनकी टीम की उपस्थिति रही। इस सत्र में एम्स भोपाल की 30 से अधिक महिला हाउसकीपिंग स्टाफ ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके अलावा, जन औषधि टीम और HLL लाइफकेयर टीम ने गर्भावस्था और मासिक धर्म से संबंधित महिला-केंद्रित उत्पादों जैसे सेनेटरी नैपकिन, मेंस्ट्रुअल कप, टैम्पोन, यूरिन प्रेग्नेंसी किट, आयरन फोलिक एसिड टैबलेट, कैल्शियम कार्बोनेट टैबलेट आदि का प्रदर्शन किया, जो जन औषधि केंद्रों पर किफायती दरों पर आसानी से उपलब्ध हैं। जन औषधि टीम ने मासिक धर्म स्वच्छता किट वाले उपहार पैकेट भी वितरित किए, ताकि महिलाओं को इन उत्पादों के उचित उपयोग के लिए प्रेरित किया जा सके। अंत में, मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ.) पुष्पलता, जन औषधि आयोजन समिति, HLL लाइफकेयर टीम ने प्रो. (डॉ.) अजय सिंह को उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने प्रो. (डॉ.) शशांक पुरवार (कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक) का भी आभार प्रकट किया, जिन्होंने 1-7 मार्च 2025 तक एम्स भोपाल में "प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना" के तहत जन औषधि सप्ताह के सफल आयोजन की सुविधा और समर्थन प्रदान किया।