एम्स भोपाल के नर्सिंग संकाय और छात्रा का 9वें विश्व गुणात्मक अनुसंधान सम्मेलन 2025 में उत्कृष्ट प्रदर्शन



भोपाल [जनकल्याण मेल] एम्स के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह संकाय सदस्यों और छात्रों के बीच शैक्षणिक उत्कृष्टता और ज्ञान-साझाकरण की संस्कृति को सदैव बढ़ावा देते रहते हैं। हाल ही में, डॉ. ममता वर्मा, प्रिंसिपल और एसोसिएट प्रोफेसर, और सुश्री सत्यम वदा, एम.एससी. नर्सिंग (पीडियाट्रिक नर्सिंग, बैच 2022), को अंतरराष्ट्रीय गुणात्मक अनुसंधान में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। उनका अध्ययन, "भोपाल के चयनित तृतीयक देखभाल अस्पतालों में बच्चों के प्री-प्रोसीजरल उपवास के दौरान देखभालकर्ताओं द्वारा सामना की गई कठिनाइयाँ: एक फेनोमेनोलॉजिकल अध्ययन", 9वें वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस ऑन क्वालिटेटिव रिसर्च (WCQR2025) में प्रस्तुत किया गया। यह सम्मेलन 4 से 6 फरवरी 2025 के बीच जगियेलोनियन विश्वविद्यालय, क्राको, पोलैंड में आयोजित हुआ। यह अभूतपूर्व शोध सुश्री सत्यम वदा, डॉ. ममता वर्मा, श्री कुमारस्वामी एपी और डॉ. प्रमोद शर्मा द्वारा किया गया था। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का प्रतीक है, क्योंकि एम.एससी. नर्सिंग शोध परियोजना को इतने प्रतिष्ठित वैश्विक मंच पर अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली।

प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस उपलब्धि के महत्व पर जोर देते हुए कहा: "अनुसंधान, शैक्षणिक उत्कृष्टता और रोगी देखभाल का आधार स्तंभ है। हमारी संकाय टीम और छात्रों को इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मिली पहचान यह दर्शाती है कि एम्स भोपाल उन्नत शोध को बढ़ावा देने और उसे सीधे रोगी देखभाल एवं संवेदनशील समूहों के हित में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं डॉ. ममता वर्मा, सुश्री सत्यम वदा और संपूर्ण शोध टीम को उनके समर्पण और सफलता के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ।"

इस सम्मलेन में 40 से अधिक देशों के शोधकर्ता, लेखक और अकादमिक समूह एकत्रित हुए, जहाँ गुणात्मक अनुसंधान में वैज्ञानिक प्रगति पर चर्चा और उनके प्रसार को बढ़ावा दिया गया। संस्थान के लिए गर्व की बात यह भी रही कि डॉ. ममता वर्मा को "स्वास्थ्य सेवा और नर्सिंग शिक्षा" विषयक सत्र की सेशन चेयर के रूप में आमंत्रित किया गया। उन्होंने पाँच विविध प्रस्तुतियों का संचालन किया, जिनमें क्रिया अनुसंधान (Action Research), केस स्टडी, मेटा-प्लान्स और बड़े पैमाने के अनुसंधान का गुणात्मक मूल्यांकन शामिल था। इन प्रस्तुतियों में प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों जैसे आर्कटिक यूनिवर्सिटी और नॉर्ड यूनिवर्सिटी, नॉर्वे; डेब्रेसेन विश्वविद्यालय, हंगरी; यूनिवर्सिटी ऑफ ए कोरुना, स्पेन; आरसीएसआई यूनिवर्सिटी, डबलिन और तंजानिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भाग लिया।