4 साल से निराहार संत दादा गुरु का नगर में हुआ आगमन, जगह जगह श्रद्धालुओं ने दादा गुरु का किया भव्य स्वागत ...
सोहागपुर (जनकल्याण मेल) मां नर्मदा सेवा परिक्रमा के तहत नर्मदा पथ के तपस्वी संत दादा गुरु की यात्रा का सोहागपुर पहुँची । बड़ी संख्या में भक्तजन दादा गुरु के दर्शन और चरण वंदना के लिए शामिल हुए। दादा गुरु ने मां नर्मदा गंगा की स्वच्छता, पवित्रता और नर्मदा धरा, प्रकृति, धेनु के संरक्षण के लिए 4 सालों से निराहार साधना का महाव्रत लिया है वह पैदल नर्मदा सेवा परिक्रमा पर तीसरी बार निकले हैं। नर्मदा पथ पर आने वाले सभी स्थानों पर रोजाना दादा गुरु के सत्संग, प्रवचन के श्रवण के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन शामिल हो रहे हैं। नर्मदा परिक्रमा में भी गुरुदेव के साथ बड़ी संख्या में उनके अनुयायी चल रहे हैं।करीब 4 वर्षों से मात्र नर्मदा जल पर आश्रित गुरुदेव का निराहार महाव्रत एक रहस्य बनता जा रहा है। देश दुनिया के वे एकमात्र ऐसे संत हैं जिन्होंने प्रकृति, धरा, धेनु, जीवनदायिनी पवित्र नदियों के साथ मां नर्मदा पर ही अपना सब कुछ केंद्रित कर दिया है। नर्मदा मिशन के माध्यम से मां नर्मदा की स्वच्छता पवित्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने और नर्मदा के तटीय इलाकों में पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार चार वर्षों से निराहार महाव्रत साधना कर रहे हैं। दादागुरु की डेढ़ लाख किमी की निराहार यात्रा के बाद लगातार तीसरी बार कार्तिक पूर्णिमा से 3200 किमी की पैदल निराहार नर्मदा परिक्रमा शुरू हुई .
जागरण के माध्यम से करते हैं संवाद ...
नर्मदा मिशन के माध्यम से नर्मदा पथ के 20 जिलों में दादागुरु रोजाना सत्संग संवाद करते है। नर्मदा मिशन एक ऐसा अभियान है जो करोड़ों जिंदगियों को बचाने की मुहिम, प्रकृति पूजा, ईश्वर की सगुण उपासना का संदेश देता है। दादागुरु का कहना है। पृथ्वी पर मानव सभ्यता का विकास नर्मदा जी के आंचल में हुआ। देवी नर्मदा भूमंडल की अधिष्ठात्री और जीवन का आधार और जीवन जीने की कला का प्राकृतिक केंद्र है। सदियों से नर्मदा जगत का कल्याण करती आई है। दादा गुरु का कहना है कि जीवनदायिनी मां नर्मदा की अब सेवा करने का हमारा समय आया है। इसी उद्देश्य को लेकर मां नर्मदा मिशन का गठन हुआ। नर्मदा मिशन एक संत की परिकल्पना है जो मानव को प्रकृति के और मानव को मानव के करीब लाती है ।
गंगा-नर्मदा में गंदगी से फैल रहे रोग ...
समर्थ श्री भैयाजी सरकार दादा गुरु कहते हैं जिस प्रकार शरीर में रक्त की भूमिका है। उसी प्रकार हमारे जीवन में गंगा नर्मदा की भूमिका है। रक्त संक्रमण के चलते रोग पनपते हैं। उसी प्रकार गंगा-नर्मदा के पवित्र जल में गंदगी और अवशिष्ट पदार्थ मिलने से समाज में विभिन्न प्रकार के रोग संक्रमण फैल रहे हैं। जब तक राष्ट्र इन पवित्र नदियों का शुद्धिकरण और विश्व की अनमोल निधियों का संरक्षण नहीं करता तब तक स्वस्थ समाज की परिकल्पना संभव नहीं है। संपूर्ण भूमंडल में सबसे पुरातन मां नर्मदा की शुद्धता स्वच्छता पवित्रता को बनाने के संकल्प को लेकर नारा "राष्ट्रधर्म अपनाए गंगा नर्मदा को बचाए " दिया गया है ।