क्षत्राणियों ने अपने रक्त से लिखी थी चंदेरी कीर्तिदुर्ग की जौहर गाथा ...

परिहार समाज द्वारा 29 जनवरी को मनाया जाता है जौहर दिवस ...

चंदेरी [जनकल्याण मेल] बुधवार को चंदेरी में सकल परिहार (खंगार) समाज द्वारा जौहर दिवस का आयोजन एक विशाल जनसमूह शोभा यात्रा के साथ किया गया शोभायात्रा राम जानकी मंदिर पुरानी कचहरी से प्रारंभ होकर जौहर कुंड कीर्ति दुर्ग किला कोठी पर जाकर समाप्त हुई। इस शोभायात्रा में प्रदेश के कई जिलों से आए परिहार खंगार समाज की पदाधिकारी गणों ने भाग लिया जिसमें रमेश परिहार (नन्ना) राष्ट्रीय अध्यक्ष खंगार समाज अशोक परिहार (मिर्धा) राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता, मलखान सिंह परिहार (दद्दा) पूर्व अध्यक्ष सहित चंदेरी के राजू परिहार, अनिल परिहार ,अजीत परिहार,सोनू परिहार, संजू परिहार, जगरूप सिंह, पर्वत सिंह,कमलेश,विष्णु राय, डॉक्टर सुधीर ,अजय सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

क्यों मनाया जाता है जौहर दिवस ...

विदेशी आक्रांताओं से अपनी अस्मिता को बचाने के लिए महान भारतीय नारियों ने समय-समय पर अपने प्राणों को न्योछावर कर अपने सतीत्व की रक्षा कर बलिदान और देशभक्ति का प्रतीक बनी ।


चंदेरी के कीर्ति दुर्ग की एक अलग ही दस्ता है जहां लगभग 1600 भारतीय क्षत्राणियों ने अपने सतीत्व की रक्षा के लिए अपने प्राणों को अग्नि को समर्पित कर दिया था इसी जौहर का प्रतीक चंदेरी स्थित कीर्ति दुर्ग जहां पास ही में जौहर स्मारक बना हुआ है जो महारानी मणि माला के जौहर की गाथा बयान करता हुआ नारियों के शौर्य और वीरता का प्रतीक चिन्ह भी है। 

लगभग 450 वर्ष से भी अधिक पूर्व जब मालवा की राजधानी रहे चंदेरी पर महाराज मैदानी राय का शासन था सन 1927 में विदेशी बर्बर आक्रांता मुगल बादशाह बाबर द्वारा मालवा में प्रवेश करने के उद्देश्य से चंदेरी पर कुदृष्टि डाली गई और 1528 में महाराज मेदिनी राय और बाबर के बीच निर्णायक युद्ध हुआ इस युद्ध में महाराज वीरता और पराक्रम के साथ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए महाराज की मृत्यु और बाबर के चंदेरी में प्रवेश होने की सूचना जैसे ही महारानी मणिमांला के कानों तक पहुंची महारानी ने अपने सतीत्व की रक्षा और क्षत्राणियों की रक्षा के लिए अपने आप को अग्नि कुंड के हवाले कर जौहर का निर्णय लिया महल के मध्य में बने जौहर कुंड में 1600 क्षत्राणीयों सहित अपने आप को अग्नि के हवाले कर जौहर किया।।


चंदेरी स्थित जौहर स्मारक पर प्रदर्शित आकृतियां 1600 वीरांगनाओं के शौर्य और जौहर का प्रतीक है हालांकि बार-बार मुगल आक्रांताओं से अपनी अस्मिता को बचाने के लिए राजस्थान के रणथंभौंर ,चित्तौड़गढ़, तथा मध्य प्रदेश के चंदेरी सहित अन्य स्थानों पर वीरांगनाओं ने अपने-अपने शरीर को अग्नि को समर्पित कर जौहर किया जिसमें चंदेरी का जौहर सबसे विशाल जौहर होकर सतीत्व की रक्षा करने वालों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रख कर वीरांगनाओं की शौर्य गाथा बलिदान का प्रतीक है।