गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस को बताया ज्ञान की गंगा
ललितपुर [जनकल्याण मेल] चौकाबाग स्थित रामकथा स्थल पर शनिवार को पूज्य संत मुरारी बापू ने कहा कि रामायण सागर जैसा ग्रंथ है। इसमें वाल्मीकि रामायण अदभुत है। वहीं, गोस्वामी तुलसीदास ने सरल, सहज आम बोलचाल वाली भाषा में रामचरित मानस की रचना कर ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने का अवसर दिया।
अंतर्राष्ट्रीय रामकथाकार पूज्य मुरारी बापू ने स्थानीय चौकाबाग में स्थित भव्य पंडाल में जीवन का दर्शन बताते हंए कहा कि जीवन में परम विश्राम की स्थिति आ जाए तो यह जीवन सार्थक हो जाएगा। विश्राम का अर्थ है कि सबका हाथ छोडकर किसी एक का चरण पकडा जाए। यदि यह जीवन में आ जाए तो विश्राम स्वत: आ जाएगा। जैसे विकास का सू़त्र है कि किसी का पांव न पकडकर पिछडे, दलित, वंचित का हाथ पकडा जाए। सबके साथ जुटने से विकास संभव है। पूज्य बापू ने सतुआ बाबा के आग्रह को इस कथा के आयोजित होने का कारण बताते हुए कहा कि बाबा की जन्मस्थली में कोरोनाकाल के बाद भव्य खुली हिंदी कथा संपन्न हो रही है। पूज्य बापू ने कथा का मूल्य विशय मानस प्रथम सोपान बालकांड पर अपनी दिव्यवाणी प्रवाहित करते हुए कहा कि कागभुसिंडि जी ने अपनी विलग रामकथा में प्रथमहिं अति अनुराग भवानी, रामचरित सर कहेसि बरवानी, पुनि नारद कर मोह अपारा, कहेसि व होरि राम अवतारा, प्रभु अवतार कथा पुनि गाई, तब शिशु चरित कहेसि मन लाई, से बालकांड का बहुरंग रूप हमारे सम्मुख रखा। श्रीरामचरित मानस के मंगलाचरण में सात श्लोक हैं, यह सात श्लोक सात समुद्र के समान हैं, अर्थात यह ग्रंथ सागर से भी गहरा है। संगीत के सात सुर होते हैं, यह सभी सुरों में गाया जा सकता है। कहने का तात्पर्य है कि सात का अंक बडा अदभुत है। ग्रंथ का मंगलाचरण सात की प्रमुख वंदना है। आप किसी से प्रेम करते हैं तो उसके आंसू दिखना चाहिए। गुरू आंसू देखता है जबकि दुनिया आंसू कहां देखती है, वह तो आंसू देती है। जो परम साधू होता है कि वह आंसू पोछता है। इससे पहले संत मुरारी बापू ग्राम मसौराकलां में पूज्य संत सतुआ बाबा की जन्मस्थली पर पहुंचे और उनके परिजनों व ग्रामीणों से मिले। इस दौरान लोगों ने उनका आर्शीवाद प्राप्त किया। इसके उपंरात जनपद के कई प्रमुख देवस्थलों के दर्शन कर कथा का आमंत्रण दिया। देवस्थलों में राजाराम मंदिर, जगदीश मंदिर, गुरूद्वारा, नृसिंह मंदिर व तुवन मंदिर गए। इस मौके पर संत संतोषदास सतुआ महाराज, गंगादास महाराज, रामलखनदास महाराज, मुख्य जजमान हर्षा गोहिल, अजय गोहिल, संजय गोहिल आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।