सीएमएस की कार्यवाही बेअसर, अब प्रशासन के हस्तक्षेप से सुधर सकती हैं व्यवस्थायें
ओटी में लम्बे समय से जमा स्टाफ को हटाये जाने की मांग
ललितपुर [जनकल्याण मेल]
जिला महिला अस्पताल में फैली अव्यवस्थायें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। दलालों की भारी सक्रियता को लेकर महिला अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक ने कर्मियों को नोटिस जारी करते हुये ऐसे लोगों को चिह्नित करने के निर्देश दिये गये थे, जिससे दलालों की सक्रियता पर कुछ दिनों के लिए रोक भी लगी थी, लेकिन चंद दिन गुजरने के बाद फिर से दलाल अपना दबदबा महिला अस्पताल में जमाने लगे हैं। महिला अस्पताल में आने वाली प्रसूताओं व उनके तीमादारों की अब लगातार रेकी कर उन्हें बुढ़वार रोड स्थित एक निजी नर्सिंग होम में भेजे जाने का खेल फिर से शुरू हो गया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार प्रचण्ड बहुमत से सत्ता में आयी भाजपा सरकार की स्पष्ट मंशा है कि जनपद स्तर पर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें मिलें, इसके लिए शासन काफी सख्त है। वहीं स्वास्थ्य सेवाओं का भरपूर लाभ जनपद के सुदूर ग्रामीण अंचलों से मुख्यालय आने वाले लोगों को मिल सके, इसके लिए जिला प्रशासन भी कटिबद्ध है। लेकिन महिला अस्पताल में प्रबंधन की उदासीनता के चलते दलालों का तंत्र फिर सक्रिय हो चला है। सूत्र बताते हैं कि पहले बाहरी व्यक्ति अस्पताल परिसर में किसी न किसी बहाने से आकर ठहर जाते थे और प्रसूताओं के तीमारदारों को बेहतर उपचार के नाम पर निजी अस्पताल भेज देते थे, लेकिन अब ऐसे लोग पैनी नजर रखते हुये अस्पताल आने वाली प्रसूताओं के तीमारदारों को सुरक्षित प्रसव कराने और बेहतर उपचार सेवायें दिलाने के नाम पर बहलाते हुए निजी नर्सिंग होम भेज रहे हैं। इस मामले में सीएमएस डा.मीनाक्षी सिंह ने सख्त रुख अपनाते हुए अस्पताल में कार्यरत प्राइवेट व संविदा कर्मियों को नोटिस जारी कर आगाह भी किया था, लेकिन चंद दिन गुजरने के बाद फिर से व्यवस्था पुराने ढर्रे पर आती नजर आ रहीं हैं।
लम्बे समय से जमे कर्मियों का कार्यक्षेत्र बदलने की आवश्यकता
जिला महिला अस्पताल में लम्बे समय से एक ही पटल या कक्ष में कार्य कर रहे प्राईवेट व संविदा कर्मियों के कार्यक्षेत्र में बदलाव नहीं किया गया है। जिससे ऐसे कर्मचारी बाहरी व्यक्तियों से सांठगांठ करते हुये शासन की मंशा बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को धता बता रहे हैं। आवश्यकता इस बात की है कि महिला अस्पताल की ओ.टी., लेबर रूम और विभिन्न कक्षों में वर्षों से तैनात कर्मियों को हटाते हुये उनके कार्यक्षेत्र में समय-समय पर बदलाव किया जाये तो बाहरी लोगों के अस्पताल में हस्तक्षेप से काफी हद तक राहत मिल सकेगी।
क्या एफआईआर के बाद बदलेगी स्थित ?
महिला अस्पताल में बाहरी लोगों की सक्रियता के खिलाफ भले ही सीएमएस काफी सख्त कार्यवाहियां कर रहीं हैं, लेकिन ऐसे बाहरी लोग अपनी कारगुजारियों को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन को परिसर में और कक्षों में लगे सीसीटीवी की फुटेज के जरिए बाहरी लोगों को जो कि लगातार अस्पताल परिसर और कक्षों में भ्रमणशील रहते हैं को चिन्हित कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करायें, ताकि बाहरी लोगों का अस्पताल में प्रवेश पर रोक लग सके और शासन की मंशा के अनुरूप लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके।
जिला अस्पताल (पुरुष) में भी फैल रहा दलालों का जाल
महिला अस्पताल में प्रसूताओं के तीमारदारों को बरगलाते हुये निजी नर्सिंग होम में भेजे जाने के मामले काफी सुर्खियों में रहे हैं। लेकिन दलालों का यह चक्रव्यूह अब जिला अस्पताल (पुरुष) में भी मरीजों व उनके तीमारदारों को जकड़ता हुआ नजर आ रहा है। जिला अस्पताल में हड्डी से सम्बन्धित मरीजों के आने पर उन्हें काफी गंभीर समस्याओं को बताते हुये बाहरी लोगों द्वारा शहर के विभिन्न प्राईवेट हॉस्पिटल में ले जाया जाता है, जिनमें बुढ़वार रोड स्थित चर्चित निजी नर्सिंग होम की संलिप्तता भी होती है। इन हॉस्पिटल में सरकारी अस्पताल में तैनात चिकित्सक हड्डियों का उपचार करते हुये सरकारी अस्पताल में मरीजों को दाखिल कराते हैं और निजी अस्पताल में उपचार के नाम पर मोटी रकम ले रहे हैं। चर्चाओं में तो यह भी है कि कई चिकित्सक अस्पताल के ठीक सामने प्राईवेट तौर पर मरीजों को 200 से 300 रुपये प्रति मरीज फीस लेकर भी देखते हुये उपचार कर रहे हैं, जो कि नियमानुसार गलत है।