प्रीत मोहन से इस भरोसे से की, चार दिन जिंदगी के गुजर जायेंगे...
संगीतमय बुंदेली भजनों पर झूमते रहे श्रोता
प्रदीप खरे
टीकमगढ़ [जनकल्याण मेल] जो काम से नहीं घनश्याम से जोड़ता है, वहीं सच्चा मित्र होता है। व्यसनों से जोडऩे और धर्म से भटकाने वाला सच्चा मित्र नहीं हो सकता। संस्कारों से दूर होकर धर्म के मार्ग से भटकाते जा रहे मित्रों को मित्र नहीं समझना चाहिये। युवाओं को चाहिये कि वह प्रहलाद और ध्रुव बने, कंस और रावण के राक्षसी प्रवृत्तियों का त्यागर करें। संतों के सत्संग में जाएं, गुरू और मात-पिता की सेवा करें। सत्य के मार्ग पर चलें। मोबाइल में चलचित्र न देखें। माता पिता को चाहिये कि वह बच्चों को पार्टियों से दूर रखें और सत्संग तथा सेवा में लगायें। यह विचार यहां श्री मद् भागवत ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन आचार्य श्री धीरेन्द्र शास्त्री बागेश्वर धाम ने व्यक्त किये। उन्होंने आज यहां राजा पारीक्षत के मोक्ष की कथा सुनाई और अहंकार से बचने की बात कही। अहंकार व्यक्ति के पतन का कारण है। विनम्रता ही जीवन की उन्नति का सही मार्ग है। संगीतमय ज्ञान यज्ञ में दौरान उन्होंने अनेक भजनों के द्वारा ज्ञान गंगा बहाई, जिसमें हजारों की संख्या में आये श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। शीत लहरों के बीच भक्तों का अपार जन समुदाय यहां घंटों बैठा रहा। श्रीमद् भागवत के दौरान उन्होंने अपनी अमृतमयी वाणी से ज्ञान गंगा प्रवाह की। जैसे ही संगीतमय भजन लगन तुमसे लगा बैठे, जो होगा देखा जायेगा...गाया कि सारा पंडाल नृत्य में झूम उठा। इस दौरान उन्होंने कहा कि मृत्यु एक न एक दिन सभी की आनी है, लेकिन मृत्य से भय नहीं खाना चाहिये। महाराज सुखदेव जी ने राजा पारीक्षत को भय से मुक्त होने के उपाये कथा के दौरान बताये। उन्होंने कहा कि हमें अपनी इंद्रियों पर विजय पाना चाहिये और अहंकार से मुक्त रहकर ही जीवन जीना चाहिये। जब रावण, कंस और कौरव जैसे संपन्न और बलशाली लोगों का अहंकार नहीं टिका तो हम लोग किस खेत की मूली हैं। आचार्य श्री ने कथा के दौरान प्रीत मोहन से इस भरोसे से की, चार दिन जिंदगी के गुजर जाएंगे सुनाकर श्रोताओं को झूमने के लिये मजबूर कर दिया। कथा के आरंभ में यजमान श्रीमती मीरा-राजेन्द्र तिवारी ने भागवत भगवान की आरती की। भागवत भगवान की है आरती, पापियों को पाप से है तारती..आरती के साथ हुई कथा आरंभ हुई। कथा के आरंभ में आचार्य श्री शास्त्री ने जैसे ही भजन प्रस्तुत किये कि मौजूद महिलाएं नृत्य करने लगी। कथा यजमान श्रीमती मीरा-राजेंद्र तिवारी ने श्रीमद्भागवत की आरती के पश्चात संत धीरेंद्र शास्त्री जी का स्वागत और सम्मान किया। पंडाल में संत श्री ने गौ माता, तीर्थों, साधु, सन्यासी बाबा, बाप मताई को प्रणाम कर कथा को आरंभ किया। उन्होंने कथा के दौरान रामराजा का औरछा आगमन और राजा मधुकरशाह और भक्त महारानी गनेश कुंवर की कथा का वर्णन किया। संत श्री ने कहा कि बुंदेली धरा पर रामराजा सरकार स्वयं विराजमान हैं, जहां हजारों साधु संत दर्शनों के लिये आते हैं। मत कर तूं अभिमान रे बंदे, झूठी तेरी शान रे..सहित अनेक भजनों को सुनाकर उन्होंने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि जीवन भोग का नहीं, प्रभु को पाने के संयोग का विषय है। भक्ति के लिये बुढ़ापे की प्रतिक्षा नहीं करनी चाहिये। बालक ध्रुव और प्रहलाद की तरह बालकाल में ही भक्ति करना चाहिये। बच्चों को धर्म और संस्कृति की शिक्षा बचपन से ही दें। भगवान सुखदेव जी ने 16 वर्ष की आयु में राजा पारीक्षत को कथा सुनाकर मोक्ष का मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा कि कथा का श्रवण कर उसे अपने जीवन में उतारें, जिससे सभी का कल्याण हो।
दरवार में सुनी सभी की पुकार
आचार्य पं. धीरेन्द्र शास्त्री ने मानव के कल्याण का मार्ग व्यासपीठ से दिखाया। उन्होंने अपने उपदेशों में व्यसनों का त्याग करने, मात-पिता की सेवा करने, गुरू का सम्मान करने और संतों का सत्संग करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति के भाव अच्छे होते हैं, वह भगवान को सच्चे भाव से भजता है, तो उसका भव से बेड़ापार होता है। सुबह से यहां आज दूसरे दिन भी दरवार लगा, जिसमें दूर दूर से आये अनेक लोगों की फरियाद सुनी गई और उनके संकट हरण का उपाय बताया गया। दरवार के दौरान प्रेतबाधाओं से लोगों को मुक्ति दिलाई गई। महाराज श्री ने जानलेवा बीमारियों से ग्रसित लोगों का उपचार किया और उनके स्वस्थ्य होने का आशीर्वाद दिया। दो दिन चले इस दरवार में उत्तरप्रदेश, गुजराज, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड सहित मध्यप्रदेश के कोने कोने से हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुये। हजारों लोगों के ठहरने और उनके भोजन आदि का प्रबंध कथा यजमान राजेन्द्र तिवारी द्वारा किया गया। कथा के दौरान की गई व्यवस्थाओं की आने वालों ने मुक्त कंठ से सराहना की। श्री तिवारी ने बताया कि यह विशाल आयोजन बाबा की कृपा से ही संभव हो पाया है। सभी का इस आयोजन में भरपूर सहयोग मिल रहा है। सेवा भावना से हजारों युवा और महिलाएं भी कार्य करने में जुटे हुये हैं।
इस अवसर पर राजेन्द्र तिवारी, राहुल तिवारी, रिक्की तिवारी, रामगोपाल शर्मा, बृजकिशोर तिवारी, मनोज व्यास, जयराम तिवारी, रामू उपाध्याय, रामू शर्मा, किरण खरे, आशीष तिवारी, अखिलेश तिवारी, राकेश महाराज, रामगोपाल शर्मा, प्रदीप खरे, सूर्य प्रकाश खरे, निखिल शर्मा, विकास यादव, गोपाल सिंह राय, मृत्युंजय गोस्वामी, जय प्रकाश दीक्षित, संजीव बिरथरे, मनोज सिंह, विजय पटैरिया, सौरभ खरे, राजेन्द्र बिदुआ, गौरव सिरवैया, मनमोहन तिवारी, रमेश द्विवेदी, भारत भूषण पटैरिया, प्रकाश अग्रवाल, विनय जैन, मानस बादल, देेवकांत शेषा, राजेन्द्र खरे, अरूण खरे, मोहित द्विवेदी,रविन्द्र रावत, श्रीराम यादव, विवेक चतुर्वेदी,राजेश रिछारिया, दुर्गसिंह राजपूत, रमेश द्विवेदी, बाबी सिंह, सेजल खरे, संजीब मिश्रा, भरत लाल खरे नन्ना, जमुना महाराज, रज्जन महाराज, साकेत पस्तोर, अभिषेक ,पीके खरे, मुरारी श्रीवास्तव, अंबिका प्रसाद खरे, मनोज खरे, कृष्ण दीपक वैद्य, राजेन्द्र प्रसाद तिवारी, छाया रैकवार, श्रुति खरे, एकता सिंह, अंजली रैकवार, करिश्मा रैकवार, अंगूरी रैकवार, सुषमा रैकवार, कमला रैकवार, अभिलाषा नामदेव, गुड्डो रैकवार, मनु रैकवार, कीर्ति रैकवार, संतोष रैकवार, बिक्की रैकवार, शिक्षा खरे सहित अनेक सदस्य उपस्थ
सात हजार से अधिक लोगों ने लिया प्रसाद
पंडाल के समीप ही बाहर से आने वालों के लिये भोजन प्रसादी की व्यवस्था की गई है। उनक और भोजन आदि की व्यवस्था देखकर लोग अचम्भित हैं। कन्या हायर सेकेन्डरी स्कूल भवन नजरबाग में सुबह से देर रात तक भोजन आदि बनाया जा रहा है। यहां आने वाले हजारों पुरूष, महिलाएं, बच्चों ओर बच्चियों के लिये व्यवस्थित तरीके से थालियों में भोजन परोसा जाता है। यहां फैजाबाद से आये भक्तों ने बताया कि वह अब तक कई जगहों पर गये हैं, लेकिन यहां जैसी सेवा भावना और प्रेम और कहीं देखने को नहीं मिला। श्री तिवारी जी और उनका परिवार व अन्य सभी कार्यकर्ता सेवा के लिये सदैव खड़े हुये हैं। देर रात तक आकर परेशानी पूंछी जाती है। यहां भोजन भी शुद्ध और स्वादिष्ट है। भोजन में मिष्ठान से लेकर दाल, सब्जी, चावल, पूड़ी आदि परोसा जा रहा है। बताया गया है कि प्रतिदिन सात हजार से अधिक लोगों को यहां आयोजन समिति द्वारा भोजन परोसा जा रहा है। बाहर से आये सभी लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। प्रकाश अग्रवाल के निर्देशन मेें भोजन व्यवस्था को बेहतर से बेहतर रखा गया है।