सनातन धर्म की रक्षा के लिये परंपराओं को अपनायें
प्रदीप खरे
टीकमगढ़ [जनकल्याण मेल] जब कुछ लोगों को टोपी पहनने और कुछ लोगों को क्रोस पहनने में शर्म नहीं लगती, तो तुम्हें तिलक लगाने में शर्म क्यों लगती है। तिलक लगाने वाला कभी पथ भ्रष्ट नहीं हो सकता। यदि वह कलारी पर पऊआ लेते किसी को मिले, तो वह कहेगा कि अरे नककटा तोए शर्म नहीं आऊत, तै तिलक लगाये और दारू पियत। तिलक लगाने वाले गलत कार्य करने से पहले सौ बार सोचेगा कि हम तिलक लगाते हैं, हमें यह गलत कार्य नहीं करना चाहिये। सनातनी व्यक्ति की सुंदरता व्यूटी पार्लर जाने और फूहड़ कपड़े पहनने से नहीं, बल्कि माथे पर तिलक और गले में तुलसी और चंदन की माला पहनने से आती है। आज आचार्य श्री धीरेन्द्र शास्त्री जी ने पथ भ्रष्ट हुये लोगों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने दरवाजों पर भगवान का नाम लिखने और तिलक लगाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब लंका में रहकर विभीषण ने अपने घर पर राम नाम लिखना नहीं छोड़ा, तो तुमने भारत में रहकर कैसे छोड़ दिया। हमारी संस्कृति और संस्कार ही हमारी धरोहर है। इसे पाश्चत्य सभ्यता की बलि मत चढ़ाओ। उन्होंने कहा कि माथे पर तिलक और घरों पर भगवान का नाम ही सच्चे सनातनी का कर्तव्य है। इस दौरान उन्होंने फूहड़ संगीत और फूहड़ पहनावा को त्यागने का भी आह्वान किया। भक्तों से खचाखच भरे पंडाल में लोगों ने तिलक लगाने का संकल्प भी लिया। भक्ति की कोई उम्र नहीं होती। बाल काल में भक्ति करके भगवान को ध्रुव और प्रहलाद ने भगवान को पा लिया। भगवान किसी भी अवस्था में मिल जायेंगे। भाव होना चाहिए। यह विचार यहां श्री मद् भागवत ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन आचार्य श्री धीरेन्द्र शास्त्री बागेश्वर धाम ने व्यक्त किये। उन्होंने आज यहां अजामिल की कथा सुनाई। बच्चों के नाम नारायण, राम, शंकर, सीता, सावित्री, गीता, गंगा रखें। स्वीटी, जैकी नहीं। नाम येसा हो जिसे जानें में लेने से भी पुण्य प्राप्त हो। संगीतमय ज्ञान यज्ञ में दौरान उन्होंने अनेक भजनों के द्वारा ज्ञान गंगा बहाईए जिसमें हजारों की संख्या में आये श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। शीत लहरों के बीच भक्तों का अपार जन समुदाय यहां घंटों बैठा रहा। श्रीमद् भागवत के दौरान उन्होंने अपनी अमृतमयी वाणी से ज्ञान गंगा प्रवाह की। जैसे ही संगीतमय भजन हरि बिन कोई न अपना है...गाया कि सारा पंडाल नृत्य में झूम उठा। अमृत है हरि नाम जगत मेंए इसे छोड़ बिषय बिष पीना क्या... पर सभी झूम उठे।इस दौरान उन्होंने कहा कि भक्ति नौ प्रकार की होती है। सभी को समान समझोए छल कपटए व्यसनों से बचो। महाराज सुखदेव जी ने राजा पारीक्षत को कथा सुनाकर संपूर्ण मानव जाति का कल्याण कर दिया। आचार्य श्री ने कथा के दौरान कृष्ण जन्म की कथा सुनाई। भगवान की मनोहारी झांकी प्रस्तुत की। जय कन्हैया लाल की का उद्घोष गूंज उठा। भगवान के नाम का स्मरण करने से कल्याण हो जाता है। नारायण का नाम अंत समय मुख से निकलने पर अजामिल जैसे पापी तर जाते हैं। आचार्य श्री ने कहा हरि नाम की महिमा अपार है। उन्होंने हिरण्यकश्यप और हिरण्यकशिपु की कथा सुनाकर नृसिंह अवतार की कथा सुनाई। भक्त प्रहलाद की रक्षा और हिरण्यकश्यप वध की कथा सुनाई। कथा के दौरान आचार्य श्री ने भजन सुनाकर श्रोताओं को झूमने के लिये मजबूर कर दिया। कथा के आरंभ में यजमान श्रीमती मीरा-राजेन्द्र तिवारी ने भागवत भगवान की आरती की। भागवत भगवान की है आरतीए पापियों को पाप से है तारतीण्ण्आरती के साथ हुई कथा आरंभ हुई। कथा के आरंभ में आचार्य श्री शास्त्री ने जैसे ही भजन प्रस्तुत किये कि मौजूद महिलाएं नृत्य करने लगी। कथा यजमान श्रीमती मीरा-राजेंद्र तिवारी ने श्रीमद्भागवत की आरती के पश्चात संत धीरेंद्र शास्त्री जी का स्वागत और सम्मान किया। पंडाल में संत श्री ने गौ माताए तीर्थोंए साधुए सन्यासी बाबाए बाप मताई को प्रणाम कर कथा को आरंभ किया। उन्होंने कथा के दौरान लोगों से शाकाहारी बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जो खुद भूखा रहकर दूसरों का पेट भरेए वो मानव होता है। जो दूसरों का मांस खाकर अपना पेट भरते हैं वो मानव हो ही नहीं सकते। पराये धन और स्त्री पर नजर रखने वाले नरक में जाते हैं। कथा के दौरान पंडाल श्रोताओं से खचाखच भरा रहा। अंत में राहुल तिवारी ने सभी के प्रति आभार जताया।
बुन्देली में भागवत कथा
भैया सासें तौ होतयी बिचित्र हैं। ठठरी, आगी के लगे..जैसे शब्दों को सुन ठहाके लगाते लोगों को पंडाल में देखा जा सकता है। आनंदित हो रहे हैं सभी बुंदेली में कथा को सुनकर आचार्य पं धीरेन्द्र शास्त्री ने मानव के कल्याण का मार्ग व्यासपीठ से दिखाया। उन्होंने अपने उपदेशों में व्यसनों का त्याग करनेए मात.पिता की सेवा करनेए गुरू का सम्मान करने और संतों का सत्संग करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति के भाव अच्छे होते हैंए वह भगवान को सच्चे भाव से भजता हैए तो उसका भव से बेड़ापार होता है। सुबह से यहां आज चौथे दिन महाराज श्री ने लोगों को उनके स्वस्थ्य होने का आशीर्वाद दिया। दो दिन चले इस दरवार में उत्तरप्रदेशए गुजराजए राजस्थानए दिल्लीए उत्तराखंड सहित मध्यप्रदेश के कोने कोने से हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुये। हजारों लोगों के ठहरने और उनके भोजन आदि का प्रबंध कथा यजमान राजेन्द्र तिवारी द्वारा किया गया। कथा के दौरान की गई व्यवस्थाओं की आने वालों ने मुक्त कंठ से सराहना की। श्री तिवारी ने बताया कि यह विशाल आयोजन बाबा की कृपा से ही संभव हो पाया है। सभी का इस आयोजन में भरपूर सहयोग मिल रहा है। सेवा भावना से हजारों युवा और महिलाएं भी कार्य करने में जुटे हुये हैं। इस अवसर पर राजेन्द्र तिवारी, राहुल तिवारी, रिक्की तिवारी, रामगोपाल शर्मा, बृजकिशोर तिवारी, मनोज व्यास, जयराम तिवारी, रामू उपाध्याय, रामू शर्मा, किरण खरे, आशीष तिवारी, अखिलेश तिवारीए राकेश महाराज, रामगोपाल शर्मा, प्रदीप खरे, सूर्य प्रकाश खरे, निखिल शर्मा, गोपाल सिंह राय, मृत्युंजय गोस्वामी, संजीव बिरथरे, सौरभ खरे, राजेन्द्र बिदुआ, गौरव सिरवैया, मनमोहन तिवारी, रमेश द्विवेदी, भारत भूषण पटैरिया, शीलू द्विवेदी, विनय जैन, मानस बादल, देेवकांत शेषा, राजेन्द्र खरे, श्रीराम यादव, दुर्गसिंह राजपूत, सेजल खरे, भरत लाल खरे नन्ना, साकेत पस्तोर, मुरारी श्रीवास्तव, डां एससी चौरसिया, छाया रैकवार, श्रुति खरे, एकता सिंह, कीर्ति रैकवार, बिक्की रैकवार, शिक्षा खरे, प्रज्ञा खरे सहित अनेक सदस्य उपस्थित रह
यजमान राजेंद्र तिवारी के संकल्प को पूरा करने और आयोजन को सफल बनाने में उनके पुत्र राहुल तिवारी और रिक्की तिवारी अपनी मित्र मंकडली के साथ जुटे हुये हैं। भोजन और पंडाल व्यवस्था की सभी सराहना करते नजर आ रहे हैं। सभी मास्क लगाये सेवा में जुटे हैं। बाहर से आने वालों के लिये भोजन प्रसादी की व्यवस्था की गई है। उनके ठहरने और भोजन आदि की व्यवस्था देखकर लोग अचम्भित हैं। कन्या हायर सेकेन्डरी स्कूल भवन नजरबाग में सुबह से देर रात तक भोजन आदि बनाया जा रहा है। यहां आने वाले हजारों पुरूषए महिलाएंए बच्चों ओर बच्चियों के लिये व्यवस्थित तरीके से थालियों में भोजन परोसा जाता है। यहां मेरठए मैनपुरीए इटावाए सागरए छतरपुरए आगराए जबलपुरए ग्वालियरए दिल्ली से आये भक्तों ने बताया कि वह अब तक कई जगहों पर गये हैंए लेकिन यहां जैसी सेवा भावना और प्रेम और कहीं देखने को नहीं मिला। श्री तिवारी जी और उनका परिवार व अन्य सभी कार्यकर्ता सेवा के लिये सदैव खड़े हुये हैं। देर रात तक आकर परेशानी पूंछी जाती है। यहां भोजन भी शुद्ध और स्वादिष्ट है। भोजन में मिष्ठान से लेकर दालए सब्जीए चावलए पूड़ी आदि परोसा जा रहा है। बताया गया है कि प्रतिदिन सात हजार से अधिक लोगों को यहां आयोजन समिति द्वारा भोजन परोसा जा रहा है। बाहर से आये सभी लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न होए इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। प्रकाश अग्रवालए श्रीराम यादव के निर्देशन मेें भोजन व्यवस्था को बेहतर से बेहतर रखा गया है।