मंत्री गोपाल भागर्व सहित अनेक अतिथियों का किया स्वागतर
प्रदीप खरे
टीकमगढ़ [जनकल्याण मेल] हम सभी भाग्यशाली हैं, जो यह मानव। चौरासी लाख यौनियों में मानव बनना सौभाग्य की बात है। इससे बढ़ी सौभाग्य की बात है कि 235 देशों में भारत की पुण्य भूमि में जन्म लेना। भारत भूमि में जन्म लेने के बाद भी यदि हम संत सेवा, साधना और भक्ति नहीं कर सके, तो मानव नहीं दानव कहलायेंगे। जो गौसेवा, संत सेवा नहीं करता, वह बिना पूंछ के जानवर की तरह रहता। भक्ति और सेवा के मार्ग पर चलने से ही जीवन सफल होता है। यह विचार यहां श्री मद् भागवत ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन आचार्य श्री धीरेन्द्र शास्त्री बागेश्वर धाम ने व्यक्त किये। उन्होंने आज यहां भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। आचार्य श्री के भजनों ने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम में पधारे मंत्री गोपाल भागर्व का आयोजन समिति ने स्वागत किया। उन्होंने महाराज श्री से आशीर्वाद लिया। बागेश्वर धाम की महिमा का वर्णन कर मंत्री गोपाल भार्गव ने आयोजन में आमंत्रित करने पर यजमान राजेन्द्र तिवारी सहित समिति के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और अपनी शुभकामनायें दी। संगीतमय ज्ञान यज्ञ में दौरान उन्होंने अनेक भजनों के द्वारा ज्ञान गंगा बहाई, जिसमें हजारों की संख्या में आये श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। शीत लहरों के बीच भक्तों का अपार जन समुदाय यहां घंटों बैठा रहा। श्रीमद् भागवत के दौरान उन्होंने अपनी अमृतमयी वाणी से ज्ञान गंगा प्रवाह की। जैसे ही संगीतमय भजन हरि बिन सकंट कौन हरे...गाया कि सारा पंडाल नृत्य में झूम उठा। अमृत है हरि नाम जगत में, इसे छोड़ बिषय बिष पीना क्या... पर सभी झूम उठे। कथा के आरंभ में यजमान श्रीमती मीरा-राजेन्द्र तिवारी ने भागवत भगवान की आरती की। भागवत भगवान की है आरती, पापियों को पाप से है तारती, आरती के साथ हुई कथा आरंभ हुई। कथा यजमान श्रीमती मीरा-राजेंद्र तिवारी ने श्रीमद्भागवत की आरती के पश्चात संत धीरेंद्र शास्त्री जी का स्वागत और सम्मान किया। पंडाल में संत श्री ने गौ माता, तीर्थों, साधु, सन्यासी बाबा, बाप मताई को प्रणाम कर कथा को आरंभ किया। उन्होंने कथा के दौरान लोगों से शाकाहारी बनने का आह्वान किया। मुरलीधर छलिया मोहन, हम भी तुझको दिल दे बैठे, गम पहले से भी कम न थे, एक और मुशीबत ले बैठे भजन ने सभी श्रोताओं का मन मोह लिया।
हरि बिन संकट कौन हरे....
हरि बिन संकट कौन हरे भजन पर सारे पंडाल में लोग झूमते रहे। कन्हैया की बाल लीलाओं का लोगों ने भरपूर आनंद लिया। भगवान के भजन कुछ तो है सरकार तेरी सरकारी में, क्या रखा है झूठी दुनियादारी में पर तो थिरकने वालों ने कमाल ही कर दिया। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान आचार्य श्री ने भगवान की बाल लीलाओं को सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। माखन चोरी, कालिया दहन और पूतना वध, बकासुर बध सहित अन्य लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बुंदेली की मिठास पंडाल में इस कदर घोली कि श्रोता टस से मस नहीं हुआ। उनके शब्दों की मिठास में आदमी अपनी सुध बुध भूल गये। आचार्य पं धीरेन्द्र शास्त्री ने मानव के कल्याण का मार्ग व्यासपीठ से दिखाया। उन्होंने अपने उपदेशों में व्यसनों का त्याग करने, गौपालन करने, मात-पिता की सेवा करने, गुरू का सम्मान करने और संतों का सत्संग करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति के भाव अच्छे होते हैं, वह भगवान को सच्चे भाव से भजता है, तो उसका भव से बेड़ापार होता है। यहां आज पांचवें दिन महाराज श्री धीरेंद्र शास्त्री ने लोगों से गौ पालन करने और साधना करने की बात कही।
लोगों की जुबान पर है यजमान श्री तिवारी की प्रशंसा
विशाल आयोजन की व्यवस्थाओं को लेकर यजमान राजेन्द्र तिवारी और उनके परिवार की सभी प्रशंसा करते नजर आ रहे हैं। नगर के एतिहासिक कार्यक्रम बनकर सामने आया है यह आयोजन। पहले दिन से ही यहां हजारों की संख्या में लोगों का आना जारी बना हुआ है। विभिन्न प्रांतों से आने वालों के ठहरने और भोजनादि की व्यवस्था नि:शुल्क की गई है। श्री तिवारी ने बताया कि मौसम खराब रहने के बाद भी हजारों लोग ज्ञान गंगा में डुबकी लगा रहे हैं। यह विशाल आयोजन बाबा की कृपा से ही संभव हो पाया है। सभी का इस आयोजन में भरपूर सहयोग मिल रहा है। सेवा भावना से हजारों युवा और महिलाएं भी कार्य करने में जुटे हुये हैं। इस अवसर पर राजेन्द्र तिवारी, राहुल तिवारी, रिक्की तिवारी, केके श्रीवास्तव, राम गोपाल शर्मा, बृज किशोर तिवारी, प्रफुल्ल द्विवेदी, रामू उपाध्याय, रामू शर्मा, किरण खरे, अखिलेश तिवारी, राकेश महाराज, प्रदीप खरे, शिव कुमार श्रीवास्तव, सौरभ खरे, प्रवीण तिवारी, गोलू अग्निहोत्री, विपिन सोनी, राघवेंद्र सिंह, आनंद तिवारी, दीपू सेन, जीतू सेन, आदित्य योगी, अंशुल व्यास, अभिषेक पस्तोर, गौरव सिरवैया, मोनू यादव, शिवा बाल्मिक, दुर्गे रैकवार, जयराम तिवारी, एससी चौरसिया, प्रकाश अग्रवाल सहित सदस्य उपस्थित रहे।
भोले के लिए गवाह बने रघुनाथ जी
दक्षिण भारत के रघुनाथ जी मंदिर के रघुनाथ जी भक्त के लिए गवाह बन गए। भोला नाम से नहीं काम से भी भोला था। बेटी के विवाह के लिये उसने साहूकार से तीन सौ रुपये का कर्जा लिया। उसने तो चुकता कर दियाए लेकिन साहूकार की नीयत खराब थी। उसने मामला न्यायालय में रखा। जहां जज साहब ने सुनवाई की और भोले से गवाह लाने को कहा। भोले ने कहा कि रघुनाथ जी जानें। हमारे तो वही हैं। जज साहब ने सम्मन जारी कर दिया। रघुनाथ जी न्यायालय पहुंचे और चुकता की रशीद तक बता दी कि सेठ जी ने कहां रखी। जब जज साहब को सच्चाई पता चली कि यह रघुनाथ जी कोई और नहींए साक्षात भगवान थे। जज साहब ने उसी समय नौकरी से इस्तीफा दिया और फिर सन्यासी हो गये। इस दौरान कथा सुनकर लोग भावुक हो उठे। भजनों को सुनकर वहीं लोग झूमते रहे।
पूतना वध की लीला का किया बखान
कृष्ण जन्म के गीतों और बधाइयों के बाद आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने पूतना वध की लीला का वर्णन किया। पूतना का जब अंतिम संस्कार किया गयाए तो उसके शरीर से दुर्गंध नहींए सुगंध निकली। इसलिए कहा जाता है कि जो भगवान की शरण में आ जाता हैए वह पाप मुक्त हो जाते हैं। पूतना का उद्धार किया। इसके बाद कंस अनेक राक्षसों को भेजता गया और कन्हैया उनका उद्धार करते गये। ऋषि गर्गाचार्य जी ने नामकरण संस्कार किया। बलदाऊ जी और कन्हैया जू के दर्शन करत रै गयै। ठाकुर जी की छवि निहारते रह गये।