राष्ट्र सर्वोपरि का जज्बा लिए हमेशा जीवंत रहेंगे प्रथम सीडीएस विपिन रावत > प्रो. आशा शुक्ला, कुलपति



ब्राउस में देश के प्रथम सीडीएस जनरल विपिन रावत पर शोध पीठ की स्थापना



महू [जनकल्याण मेल] प्रथम सीडीएस विपिन रावत के असामयिक निधन पर सम्पूर्ण देश स्तब्ध है। वे हमेशा अपने कार्यों, निष्ठा और राष्ट्र समर्पण से जीवंत रहेंगे। हमें उनके कार्यों, नीतियों, युद्ध कौशल को बार-बार समझने की जरुरत है। विश्वविद्यालय ने अपनी सामाजिक एवं राष्ट्रीय भूमिकाओं का निर्वहन करते हुए पीठ को उच्च प्राथमिकता में शामिल किया। विश्वविद्यालय ने स्कूल ऑफ डिफेंस स्टडीज के अंतर्गत आर्मी वॉर कालेज तथा इन्फेंट्री स्कूल से अकादमिक अनुबंध भी किये हैं ताकि देश के योद्धाओं के योगदान को राष्ट्र और समाज के सामने पल्लवित किया जा सके। इस पीठ की स्थापना उच्च निष्ठा और समर्पण के साथ राष्ट्रीय हित के बिन्दुओं को तलाशना है। उक्त बातें डॉ. बी. आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय तथा फ्री प्रेस ः संयुक्त तत्वाधान में आयोजित देश के प्रथम सीडीएस जनरल विपिन रावत को श्रद्धांजलि तथा उनके नाम पर शोध पीठ के  शुभारम्भ कार्यक्रम के अवसर पर में ब्राउस कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने बतौर अध्यक्ष कही। 

श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए महू के कमान्डेंट ले. जनरल वीएस श्रीनिवास ने कहा कि सीडीएस विपिन रावत ने वीरता के साथ चुनौतियों का सामना किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर, नागालैंड सहित देश के विभिन्न स्थानों पर वीरतापूर्ण कार्यों को अंजाम दिया। तमाम चुनौतियों के बावजूद वे देश हित के फैसलों पर अडिग रहे। उनके नाम पर पीठ की स्थापना सैन्य योद्धाओं का सम्मान है।स्मरण एवं आदरांजलि उद्बोधन में महू के कमांडेट (सेवानिवृत) ले. जनरल दुष्यंत सिंह ने कहा कि सीडीएस विपिन रावत एक उर्जावान योद्धा रहे हैं। वे देश हित के कार्यों को चुनौतीपूर्ण लेकर आगे बढ़कर करते थे। वे एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ सैनिक थे जिन्होंने जीवन में रुकना नहीं सीखा। संभवतः ब्राउस में स्थापित यह पीठ सीडीएस पर पीठ है जो उनके कार्यों  को सामाजिक उन्नयन के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने देश को सॉफ्ट पॉवर से हार्ड पॉवर बनाया है। उन्होंने सेना में अनेक नवाचारी आधुनिक प्रयोग किये जिसमें राष्ट्रहित को बढ़ावा दिया गया।

भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए महू के वीएसएम (सेवानिवृत) ले. जर्नल एम.जी. दातार ने कहा कि सीडीएस विपिन रावत ने 1971 की लड़ाई में शहीद को वीरता सम्मान लेने आई उनकी पत्नी को पैर छूकर प्रणाम किया यह अपने आप में निष्ठा और समर्पण का अनुपम उदहारण है। उन्होंने देश की सेना को एकजुट करने का प्रयास करें,  डॉ. अरुण कुमार, डॉ. पीसी बंसल, डॉ. धनराज डोंगरे, प्रदीप कुमार, डॉ. कृष्णा सिन्हा, लव चावडीकर, एवं आर्मी परिवार सहित सभी शिक्षक, अधिकारी तथा विद्यार्थी मौजूद रहे।