उजड़ते शहर सारनी को बचाने मनाया अफसोस दिवस

दो दशक में 41 हजार से अधिक मतदाताओं ने किया पलायन 



गजेन्द्र सोनी 

सारनी [जनकल्याण मेल] सारनी, जिला, प्रदेश या देश का शायद पहला ऐसा शहर है, जहां से दो दशक में 41 हजार से अधिक मतदाताओं ने पलायन किया है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस शहर से कितनी अधिक आबादी ने पलायन किया होगा।  अब इस उजड़ते शहर को बचाने युवा संघर्ष मंच आगे आया है। 

विजयादशमी के अवसर पर नगर देवता बाबा मठारदेव के आधार मंदिर में पूजनकर युवा संघर्ष मंच ने उजड़ते शहर को बचाने हर संभव कोशिश करने की शुरूआत की थी। केंद्र व राज्य सरकार के कानों तक बात पहुंचे। इसके लिए युवा संघर्ष मंच द्वारा आए दिन अनोखे प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में 31 दिसंबर को युवा संघर्ष मंच के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने अफसोस दिवस मनाया और सीएम के नाम एक चिठ्ठी लिखी। सुबह 11 बजे से शुरू हुआ यह प्रदर्शन दोपहर तक चला। इस प्रदर्शन को गरीब, मजदूर, अधिकारी, कर्मचारी ही नहीं। बल्कि शहर से बाहर रहने वाले लोगों का भी समर्थन मिला। इससे पहले पूरे शहर के लोगों ने एक दिन स्वेच्छा से अपनी-अपनी दुकानें बंद रखकर सांकेतिक प्रदर्शन किया था, जो शत प्रतिशत सफल रहा। इसके बाद से अचानक राजनीतिक दलों और नौकरशाहों की सक्रियता औद्योगिक नगरी में बढ़ गई। दरअसल साल 2012 में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सारनी पॉवर प्लांट में नई बिजली इकाई स्थापित करने की घोषणा की थी। इसके बाद जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान पाथाखेड़ा में नई खदान और सारनी में 4 हजार करोड़ की लागत से बिजली घर स्थापित करने की घोषणा की थी। इसके बाद से कई बड़े नेताओं ने द्वारा सारनी को उजडऩे नहीं देने की बात कही, जो अब तक सिर्फ जुमला साबित हुई है। इसी से लोगों में आक्रोश पनप रहा है।

डेढ़ दशक में बंद हो गए यह उद्योग -



सारनी जिले की औद्योगिक नगरी है। यहां का गौरव सतपुड़ा पॉवर प्लांट और कोयला खदानें हैं। बीते डेढ़ दशक में पांच भूमिगत कोयला खदानें बंद हो गई।  इतना ही नहीं। देश का गौरव कहा जाने वाला 1142.5 मेगावाट का सतपुड़ा पॉवर प्लांट महज 9 साल के अंदर बंद हो गया। इस बीच नए उद्योग के नाम पर 500 मेगावाट की सतपुड़ा परियोजना मात्र आई है। 9 बिजली इकाइयां और 5 कोयला खदानें बंद होने से क्षेत्र में रोजगार का संकट गहरा गया। लोगों ने कुछ समय जरूर नए उद्योग का इंतजार किया। लेकिन जैसे जैसे रोजगार के संकट और ज्यादा गहराने लगा। लोqगों ने पलायन करना शुरू कर दिया।

20 साल में कम हो गए 41 हजार मतदाता -

साल 2001 की जनगणना में नगरपालिका सारनी में मतदाताओं की संख्या 98 हजार थी, जो 2011 की जनगणना में घटकर 84 हजार पर आकर सिमट गई। 2017 में हुए नगरपालिका चुनाव में मतदाता सूचीं का पुनरीक्षण हुई तो पता चला कि मतदाताओं की संख्या 65 हजार पर आ पहुंची। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मतदाता सूची का पुनरीक्षण हुआ। जिसमें मतदाताओं की संख्या घटकर 59 हजार 919 पर आ पहुंची। इसके ठीक एक साल बाद 2019 में लोकसभा चुनाव हुए और फिर मतदाता सूची पुनरीक्षित हुई तो 2759 मतदाता और कम हो गए। यानी की साल 2019 में सारनी क्षेत्र में 57 हजार 160 मतदाता ही शेष रह गए। अब यदि नगरपालिका क्षेत्र के मतदाताओं का पुनरीक्षण होता है तो मतदाताओं की संख्या 50 हजार के आसपास रहने का अनुमान है। दरअसल तेजी से क्षेत्र से लोग पलायन कर रहे हैं।

महिला, बच्चे, बुढ़े और जवान सभी ने लिखी चिट्ठी 



युवा संघर्ष मंच के बैनर तल शहर को उजडऩे से बचानेे महिला, बच्चे, बुढ़े और जवान सभी ने सीएम के नाम चिठ्ठी लिखी। गायत्री परिवार की महिलाओं द्वारा जहां वार्डवार भ्रमण कर लोगों को सीएम के नाम चिठ्ठी लिखने प्रेरित किया। वहीं नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर पोस्टल कार्ड सीएम के नाम लिखे। अच्छी बात यह रही कि मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी सारनी के अधिकारियों और कर्मचारियों और मजदूरों ने भी सीएम के नाम चिठ्ठी लिखी। 1 जनवरी को नगर देवता बाबा मठारदेव के दर्शन करने सैकड़ों लोग पहुंचते हैं। उनसे भी शहर की खुशहाली के लिए उद्योग स्थापित करने सीएम के नाम चिठ्ठी लिखवाई जाएगी। शहर के जय स्तंभ चौक पर जहां अफसोस दिवस मनाया गया। वहां पर पुलिस भी मौजूद रही। खासबात यह रही की आवागमन करने वाला हर कोई स्वेच्छा से रूककर सीएम के नाम चिठ्ठी लिख रहा था। इससे युवा संघर्ष मंच में उत्साह का माहौल है।