महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष पूजन विधि और व्रत विधान







भांग ,दूध, पंचामृत, धतूरा, गंगाजल,शहद, इत्र,और जल से करें अभिषेक, फिर चन्दन लेप कर बेलपत्र चढायें

[पंडित इंजि चंद्रभानु शर्मा ज्योतिषाचार्य] 

विदिशा { जनकल्याण मेल } महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी होती है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि (मासिक शिवरात्रि) को व्रत रखा जाता है। लेकिन सबसे बड़ी शिवरात्रि महाशिवरात्रि कहलाती है। 

शिव की रात्रि है यानी कि भक्‍तों के लिए सुख की वो रात्रि जिसमें पूरा माहौला शिवमय हो जाता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. शिव भक्‍तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन विशेष महत्‍व रखता है. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से देवादि देव महादेव की आराधना करता है उसका बेड़ा पार हो जाता है. यही वजह है कि भक्‍त नाना प्रकार के जतन कर अपने आराध्‍य को प्रसन्‍न करने की कोशिश करते हैं. शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने का विशेष महत्‍व है. कहते हैं कि शिव शंकर तो जल मात्र चढ़ाने से ही संतुष्‍ट हो जाते हैं. लेकिन फिर भी अगर आप किसी विशेष मनोकामना के लिए शिवरात्रि का व्रत कर रहे हैं तो कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्‍हें शिवलिंग पर चढ़ाकर आप महादेव की विशेष कृपा पा सकते हैं.

महाशिवरात्रि व्रत विधान : - 

1 . गरुड़ पुराण के अनुसार शिवरात्रि से एक दिन पूर्व त्रयोदशी तिथि में शिवजी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके उपरांत चतुर्दशी तिथि को निराहार रहना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को गंगा जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

2. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर 'ॐ नमः शिवायः' मंत्र से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए और अगले दिन प्रातःकाल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।

3. गरुड़ पुराण के अनुसार इस दिन भगवान शिव को बिल्व पत्र के साथ सफेद आंकड़े के फूल अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव को बिल्व पत्र व सफेद आंकड़े के फूल बेहद प्रिय हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को रुद्राक्ष, बिल्व पत्र, भांग, शिवलिंग और काशी अतिप्रिय हैं।

4. इस दिन महानिशिथकाल में महामृत्युंजय का जाप करने से रोग-शोक से राहत मिलती है। कोई भी व्रत पूर्ण श्रद्धा रखकर किया जाए तभी सफल होता है। 

5. शिव की उपासना और व्रत रखने से शुभ फल मिलते हैं.... महाशिवरात्रि के सिद्ध मुहूर्त में शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठित करवाकर स्थापित करने से व्यवसाय में वृद्धि और नौकरी में तरक्की मिलती है।

6. शिवरात्रि के प्रदोष काल में स्फटिक शिवलिंग को शुद्ध गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान करवाकर धूप-दीप जलाकर मंत्र का जाप करने से समस्त बाधाओं का शमन होता है। 

7. बीमारी से परेशान होने पर और प्राणों की रक्षा के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। याद रहे, महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करें। मंत्र दिखने में जरूर छोटा दिखाई देता है, किंतु प्रभाव में अत्यंत चमत्कारी है।

8. महिलाएं सुख-सौभाग्य के लिए भगवान शिव की पूजा करके दुग्ध की धारा से अभिषेक करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र : ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ। 

9. लक्ष्मी अपने श्री स्वरूप में अखंड रूप से केवल भगवान शिव की कृपा से ही जीवन में प्रकट हो सकती हैं। अखंड लक्ष्मी प्राप्ति हेतु निम्न मंत्र की दस माला का जाप करें। मंत्र- ॐ श्रीं ऐं ॐ। 

10. शादी में आ रही बाधा दूर करने के लिए इस मंत्र के साथ शिव-शक्ति की पूजा करें। 

मंत्र - हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया। 

तथा मां कुरु कल्याणी कान्तकांता सुदुर्लभाम।।

11. संपूर्ण पारिवारिक सुख-सौभाग्य हेतु निम्न मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। मंत्र- ॐ साम्ब सदा शिवाय नम

भगवान शिव को औघड़ और भोलेनाथ भी कहा जाता है, लेकिन शिव जितने भोले और आसानी से प्रसन्न होने वाले हैं, उनका गुस्सा भी उतना ही प्रलयंकारी है। कहते हैं कि जिस दिन शिव ने अपनी तीसरी आंख खोल दी, उसी दिन दुनिया का अंत निश्चित है।

महाशिवरात्रि का व्रत इस बार 11 मार्च को पड़ रहा है. यह पर्व विशेष मुहूर्त में पड़ने वाला है. हिंदू पंचांग की मानें तो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि को चंद्रमा मकर राशि में जबकि सूर्य कुंभ राशि में रहेंगे. ऐसे में महाशिवरात्रि पर्व शिव योग में मनाया जाएगा. इस दिन निशिता काल पूजा समय रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक पड़ रहा है(पंचाग भेद संभव). अत: इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी.

महाशिवरात्रि पूजा विधि,,,,

भांग को दूध में मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं,धतूरा,पंचामृत से स्नान कराएं,जल में गंगाजल मिलाएं और शिवलिंग पर चढ़ाएं,फिर चंदन का तिलक लगाएं,अब तीन पत्तों वाला 108 बेलपत्र चढ़ाएं,इस दौरान ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करते रहें.शिव पुराण पढ़े, चालिसा और आरती करें.संभव हो तो रात्रि जागरण करें

आप भी अपनी राशि अनुसार भी शिव जी की पूजा कर मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकते हैं-

मेष

शिवलिंग पर कच्चा दूध तथा दही अर्पित करते हुए धतूरा, पुष्प आदि समर्पित करें तथा दीपक जलाकर आरती उतारें व आशीर्वाद लें।

वृषभ

शिवलिंग को गन्ने के रस से स्नान करवाना चाहिए। ततपश्चात भगवान को मोगरे के फूल अर्पण कर भोग लगाएं तथा आरती उतारें।

मिथुन

स्पटिक के शिवलिंग की पूजा कर भगवान को लाल गुलाल, चंदन, इत्र, कुमकुम, आक पुष्प आदि अर्पित कर उन्हें करबद्ध नमस्कार करें।

कर्क

शिवलिंग को अष्टगंध तथा चंदन से अभिषेक करना चाहिए। साथ ही प्रतिदिन शिवलिंग पर कच्चा दूध व जल चढ़ाएं।

सिंह

 शिवलिंग का फलों के रस तथा शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद भगवान को आंकड़े के फूल अर्पण कर मिठाई का भोग लगाना चाहिए।

कन्या

शिवलिंग जिस भी रूप में चाहे पूजा कर सकते हैं। उन्हें भगवान को बैर, धतूरा, भांग तथा आंकड़े के फूल चढ़ा कर बिल्वपत्र पर प्रसाद चढ़ाएं और कर्पूर मिश्रित जल से अभिषेक कर पूजा करें।

तुला

जल में विभिन्न प्रकार के पुष्प डाल कर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें तथा पुष्प, चंदन तिलक, इत्र आदि अर्पित करते हुए आरती करें।

वृश्चिक

शिवलिंग का अभिषेक गंगाजल मिश्रित जल से करते हुए शहद, घी तथा जल से स्नान करवाना चाहिए। इसके बाद भगवान को लाल फूल चढ़ाएं व आरती करते हुए मसूर की दाल दान करें।

धनु

धनु राशि के लोगों को भगवान शिव का पके हुए चावलों से श्रृंगार कर उन्हें सूखे मेवे का भोग अर्पण करना चाहिए।

मकर

मकर राशि वाले लोगों को शिवलिंग को गेहूं से ढ़ंककर विधिवत पूजा करनी चाहिए। आरती के बाद पूजा में उपयोग किए गए गेहूं का दान जरूरतमंद लोगों को कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

कुंभ

कुंभ राशि वाले लोगों को तिल मिश्रित जल से शिवलिंग का अभिषेक स्नान कराना चाहिए। तत्पश्चात सफेद और काले तिल उन्हें अर्पित कर बिल्वपत्र, गुलाब, चंदन, इत्र आदि चढ़ाएं।

मीन

शिवलिंग पर चने की दाल अर्पण करना चाहिए। तथा पीपल के नीचे बैठकर भगवान शिव की पूजा करते हुए ऊँ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।