इलाज कराने गांव से जाना पड़ता है 50 किलोमीटर दूर
गजेन्द्र सोनी
सारनी [जनकल्याण मेल]
आधुनिकता की इस चकाचौन्ध से दूर आज भी कई ऐसे गांव है। जहां डिजिटलाइजेशन की बात तो दूर। मूलभूत सुविधा भी ठीक से नहीं पहुँच पाई। ऐसे ही गावों में रामपुर पंचायत भी शामिल है। घोड़ाडोंगरी जनपद पंचायत अंतर्गत रामपुर पंचायत है। इस पंचायत में छह गांव आते हैं। जिसमें घोघरा, कुंडीखेड़ा, रामपुर, दानवा, भटोड़ी, तीता शामिल है। ग्रामीणों के अनुसार इनमें दो वनग्राम और चार राजस्व गांव है। कुंडीखेड़ा और रामपुर में बिजली है। चार गांव आज भी अंधेरे में हैं। तीता और भतोड़ी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बफरजोन में आते हैं। सभी गांव चारों तरफ से घने जंगल और पहाड़ी से घिरे हैं। यहां किसी भी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क नहीं है। जबकि बिजली के लिए कुछेक घरों पर सौर पैनल लगे हैं। ज्यादातर पैनल व बैटरी खराब होने से गांव में शाम होते ही अंधेरा पसरा रहता है। इसी वजह से यहां के रहवासी शाम होते ही घरों में आ जाते हैं। जंगली जानवरों और ठंड से बचने के अलावा उजाले के लिए हर एक घरों के सामने आग ( अलाव) जलाई जलते रहती है। 75 वर्षीय मोहब्बत नर्रे बताते हैं कि यह हमारी 7 वीं पीढ़ी है। इन्होंने बताया तीन बार वृद्धा पेंशन के लिए फार्म भरे गए। लेकिन अब तक पेंशन नहीं मिली।
गांव पहुँच तक है पक्की सड़क
ब्लाक मुख्यालय से रामपुर, भतोड़ी तक पक्की सड़क है। जबकि गांव में सीमेंट-कांक्रीट सड़क है। गांव में माध्यमिक शाला और पंचायत में हाईस्कूल है। इन दिनों सप्ताह में तीन दिन स्कूल लगता है। बिजली नहीं होने से यहां के बच्चे दिन में ही पढ़ाई करते है। रात में पढ़ाई के लिए अलाव का सहारा लेते हैं। यहां के ज्यादातर लोग रोजगार के लिए खेती और वनोपज पर निर्भर है। इसके अलावा पंचायत में कोई काम मिल जाए तो कर लेते हैं।
हैंडपम्प और बिजली की मांग
राजेश नवड़े, सूरज उइके, प्रकाश, परितोष और धर्मसा नवड़े का कहना है कि इस आधुनिक युग में बिजली, पानी और नेटवर्क अतिआवश्यक है। गांव में यह तीन समस्या प्रमुख है। सौर पैनल सिस्टम जब हम उपलब्ध कराए गए थे। तब अच्छे चल रहे थे। कुछ दिनों चलने के बाद खराब हो गए। जिससे पुनः बिजली की समस्या उतपन्न हो गई। बिजली की नियमित व्यवस्था की जरूरत है। पानी के लिए भटोड़ी गांव में पांच हैंडपम्प है। इसमें से तीन बंद हो गए। एक हैण्डपम्प का पानी लाल और बदबूदार आ रहा है। एक हैंडपम्प का ही पानी पूरा गांव उपयोग में ले रहे हैं। स्कूल और वन विभाग के नाके के पास का हैण्डपम्प बंद होने से स्कूली बच्चे भी गांव से पानी ले जाने को मजबूर है।
सांसद को फोटो और विधायक को गांव में देखा
रामपुर पंचायत के गांव घने जंगल और ऊंची पहाड़ी से घिरे है। यहां आसानी से कोई भी बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर पाते। जब से विधानसभा चुनाव हुआ है तब से एक बार विधायक गांव में आए हैं। सांसद अभी तक नहीं आए। लगभग 100 घरों वाले भटोड़ी गांव की आबादी करीब 600 है। यहां ग्रामीणों ने बताया की उन्होंने विधायक को गांव और सांसद को सिर्फ फोटो में देखा। आदिवासी सांसद और विधायक होने के बावजूद हमारी आदिवासियों की सुध लेने में जनप्रतिनिधि रुचि नहीं दिखा रहे।
सप्ताह में एक दिन आते हैं डॉक्टर
रामपुर पंचायत ब्लॉक मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर है। ऊपर से घने जंगल और ऊंची पहाड़ी के बीच गांव बसे हैं। इन गांवों में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। सप्ताह में एक दिन डॉक्टर आते हैं। जबकि बाकी दिनों में इलाज के लिए ग्रामीणों को 100 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। करीब डेढ़ हजार वोटर वाले रामपुर पंचायत में उप स्वास्थ्य केंद्र की जरूरत है। पंचायत अंतर्गत निवासरत ज्यादातर लोग आदिवासी समाज से आते हैं।
इनका कहना -
जिन्हे पेंशन नहीं मिल रही। उनके नंबर और जानकारी उपलब्ध कराए। जो भी समस्याएं हैं। मुझे भेजे। ताकि मैं जिलापंचायत सीईओ को निराकरण के लिए बता सकूं। अमनबीर सिंह, कलेक्टर, बैतूल।