निर्माण में गुणवत्ता परखने वालों के दफ्तर ही गुणवत्ता विहीन

 


मामला जप अंतर्गत आने वाले उपयंत्री के दफ्तर का ।

सांची [जनकल्याण मेल] जप अंतर्गत आने वाली ग्रामपंचायतों में होने वाले निर्माण की गुणवत्ता तथा स्वच्छता की धींगे भरने वाले उपयंत्रियो के जप परिसर में बने दफ्तर में न केवल गंदगी का साम्राज्य हो चुका है बल्कि गुणवत्ता की कल ई भी खुलकर सामने आ रही है ।इतना ही नहीं दफ्तर में अधिकारी बैठते हैं तथा दीवारों के सहारे लोग खड़े होकर बाथरूम करते नजर आ जाते हैं ।तब जप अंतर्गत आने वाली ग्रामपंचायतों में होने वाले गुणवत्ता पूर्ण तथा स्वच्छता अभियान का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है ।

जानकारी के अनुसार नगर के जनपद पंचायत परिसर में स्थित बने सहायक यंत्री तथा उपयंत्रियो के जिम्मे जप अंतर्गत आने वाली लगभग 77 ग्राम पंचायतों में होने वाले निर्माणों की गुणवत्ता परखने वाले तथा स्वच्छता अभियान की निगरानी करने वाले सहायक यंत्री एवं उपयंत्रियो के दफ्तर के आसपास गंदगी तो फैली हुई है ही वरन इस दफ्तर के अंदर सरकारी कामकाज निपटते हैं तथा इस दफ्तर के बाहर लोग खुलेआम बाथरूम करते आसानी से दिखाई दे जाते हैं परन्तु न तो यहां बैठने वालों को परेशानी हुई है न ही दीवारों के सहारे खड़े होकर बाथरूम करने वालों से कभी बदबू ही फैलती दिखाई देती है सहा,यंत्री तथा उपयंत्रियो के इस दफ्तर के आसपास गंदगी तथा झाड़ी बड़ी बड़ी होने से सफाई नहीं हो पाती है इतना ही नहीं इस दफ्तर के ठीक सामने ही यहां किसी समय शौचालय हुआ करता था परन्तु यहां से शौचालय का ढांचा तो हटा दिया गया है परन्तु शौचालय में लगी शौच सीट आज भी इस दफ्तर के सामने अपनी कहानी स्वयं बयां कर रही है इसी सीट पर गुणवत्ता परखने वाले अधिकारियों का आना जाना लगा रहता है यहां तक कि इस दफ्तर के आसपास कूड़े कचरे के ढेर लगे साफ दिखाई दे जाते हैं तब आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जप अंतर्गत आने वाली सभी ग्रामपंचायतों में इन तकनीकी शाखा में बैठने वाले सहायक यंत्री तथा उपयंत्रियो द्वारा ग्राम पंचायतों में निर्माण की गुणवत्ता को कैसे परखा जाता होगा तथा ग्रामीण अंचलों में पंचायतों में कहां तक सफाई अभियान सफल रहे पाता होगा । यहीं कारण रहता है जब अनेक ग्रामपंचायतों में निर्माण के लिए आने वाली करोड़ों रुपए की राशि को निर्माण के नाम पर मिली भगत कर शासन की मंशा पर पानी फेरने में पीछे नहीं दिखाई देते । हालांकि इन यंत्रियो एवं उपयंत्रियो के कमीशन खोरी के किस्से किसी से छिपे नहीं रहते तथा इन्हीं गुणवत्ता परखने वालों की मिली भगत से ही अनेक ग्रामपंचायतों में तो मिली भगत कर करोड़ों का चूना शासन को लगा दिया जाता है परन्तु इस ओर न तो प्रशासन में बैठे लोगों को ही सुध लेने की फुर्सत मिल पाती है न ही शासन अपनी आवंटित राशि की ही सुध ले पाता है तब सहा यंत्री उपयंत्रियो द्वारा निर्माणों में होने वाली गुणवत्ता को पलीता लग जाता है । ऐसा भी नहीं है कि इस जप में बैठने वाले वरिष्ठ अधिकारियों की इस गंदगी पर नजर न पहुंच पाती हो । लगता है स्वच्छता अभियान के क्रियान्वित करने वाले दफ्तरों के यह हाल हो तब ग्रामीण क्षेत्रों में यह अभियान कैसे कारगर साबित हो पाता होगा आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है । वैसे भी इस तकनीक शाखा में बैठने वाले हफ्तों महीनों लापता रहते हैं इनके दफ्तरों में अधिक समय ताला ही लटका नजर आता है तथा जब जब जानकारी लेने का प्रयास किया जाता है तब तब फील्ड में रहने का कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है न ही यहां बैठे जिम्मेदार ही सुध लेने की जहमत ही उठा पाते हैं ।