इस पखवाड़े में शान्ति विधान करने का विशेष महत्व है: प्रसाद सागर जी



अशोकनगर:(जनकल्याण मेल)। सौलह दिन का जब पखवाड़ा पड़ता है तब भगवान शान्तिनाथ स्वामी की महाआराधना रूप श्री शान्तिनाथ महामंडल विधान का अपना विशेष महत्व होता हैं मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महाराज के पास सौलह दिनों की महा आराधना की जा रही है कमेटी ने यहां भी भावना रखी थी पखवाड़े में पूरे सान्निध्य की आचार्यश्री के पास निवेदन भी किया गया आचार्यश्री ने आगे के लिए कुछ भी नहीं कहा तो हमने एक दिन रविवार को महा आराधना की अनुमति दे दी है फिर का फिर देखेंगे यह पखवाड़ा बहुत सी विशेषताओं को लिए है इसमें आठ तीर्थंकर भगवन्तो के कल्याण पड़ रहे हैं भगवान पुष्प दंत स्वामी व मल्लिनाथ स्वामी के जन्म व तप कल्याण के साथ ही अनेक शुभ योगों के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहें हैं तो जो भी भक्त इस इस पखवाड़े में शान्तिनाथ स्वामी की महा आराधना कर रहे हैं वे विशेष पुण्य का संचय कर रहे हैं उक्त आशय के उद्गार दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी में मध्यान्ह में भक्तों के बीच मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज ने व्यक्त किए।

आचार्यश्री की अंचल पर हमेशा अनुकम्पा रही है-

इस अवसर पर थूवोनजी कमेटी के प्रचार मंत्री विजय धुर्रा ने कहा कि आचार्य श्री की इस पूरे अंचल पर महती कृपा है हमेशा संघ का सान्निध्य कही ना मिलता रहता है इस वार अशोक नगर नहीं तो मुंगावली में चातुर्मास के साथ ही पिपरई चन्देरी को भी सौभाग्य मिला हम सब मुनि संघ के सानिध्य में कोई विशेष समारोह की चाह रख रहे हैं आज मुनि संघ से तीर्थ क्षेत्र के सम्पूर्ण अवलोकन का आग्रह किया था जिस पर बड़े महाराज जी ने अपनी स्वीकारता दे दी इसके बाद कमेटी के अध्यक्ष अशोक जैन टिंगू मिल महामंत्री विपिन सिंघई कोषाध्यक्ष सौरभ वांझल प्रचार मंत्री विजय धुर्रा आडीटर राजीव चन्देरी राधेलाल धुर्रा उमेश सिंघई आजाद महाना सुनील दलाल सहित अन्य भक्तों ने मुनि संघ के चरणों में श्री फल भेंट किए इसके बाद चन्देरी से विशेष वाहनों द्वारा कमेटी के साथ सैकड़ों भक्तों ने मुनि संघ के दर्शन करने का लाभ प्राप्त किया व अपनी बात रखी।

यहाँ की छटा निराली है-

इसके पहले तीर्थ गौरव मुनि श्री निकलंक सागर जी महाराज ने कहा कि दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी में हमेशा ही बहुत लगता है यहाँ का प्रकृतिक वातावरण मन को आनंदित करने वाला है सांयकाल में पक्षियों का कलरव प्रकृति की छटा का अलग ही रूप प्रस्तुत करती हैं मुनि श्री उत्तमसागर जी महाराज ने कहा कि हम जब क्षुल्लक अवस्था में थे तब आचार्यश्री विद्या सागर जी महाराज के साथ 1987 में चातुर्मास किया था उस चातुर्मास को सब लोग मलेरिया चातुर्मास कहते हैं लेकिन उस चातुर्मास में सुधासागरजी महाराज से मलेरिया भी दूर ही रहा सतासी के उस चातुर्मास के बाद प्रमाण सागर जी व हम लोगों की सौनागिर में मुनि दीक्षा हो गई।