मोदी सरकार किसानों के हित के लिए लाई कृषि बिल:चतुर्वेदी

किसान सत्य और तथ्य समझें

भाजपा प्रवक्ता ने पत्रकारों के बीच बताये कृषि बिल के लाभ


अशोकनगर:(जनकल्याण मेल)। मोदी सरकार न तो मंडियों को खत्म करने जा रही है और न ही नये कृषि बिलों में किसानों की जमीन का करार होगा। यह सभी भ्रम कांग्रेस फैला रही है। कांग्रेस हमेशा देश व समाज के विरोध में इस तरह की बात करती रही है। कृषि बिलों को लेकर भी कांग्रेस किसानों के कंधे पर हथियार रखकर राजनैतिक रोटियां सेंक रही है। किसानों को कृषि बिल के सत्य और तथ्य समझने चाहिए। यह बात भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने

स्थानीय विश्राम गृह में पत्रकारों के बीच कही। इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष उमेश रघुवंशी, जिला मीडिया प्रभारी डॉ हरवीर सिंह रघुवंशी भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि बात धारा370 की हो या धारा 35 ए, श्रीराम मंदिर निर्माण की कांग्रेस ने हमेशा विरोध की राजनीति की है। कृषि बिल के बारे में भी कांग्रेस पार्टी यही कर रही है। श्री चतुर्वेदी ने माना कि यह आंदोलन किसानों का है। हमारी सरकार लगातार किसानों से बात कर रही है पांच दौर की बात हो चुकी है।

बातचीत से ही हल निकेलेगा। सरकार उचित संशोधन करने के लिए भी तैयार है।

उदाहरण देकर बताया किसानों को लाभ-

किसानों के हित में कानून है यह बात बताते हुए श्री चतुर्वेदी ने दो उदाहरण दिए पहला होशंगाबाद से। इस जिले की फॉच्र्यून कंपनी ने किसानों से करार किया। चावल की खेती करने वाले किसानों को कंपनी ने उचित दाम नहीं दिया। नये कानून के तहत वहां केे जिला प्रशासन ने कंपनी को नये कानून के प्रावधान बताये और इसके बाद कंपनी पेमेंट करने के लिए तैयार हो

गई है। दूसरा उदाहरण कल का है, ग्वालियर जिले के भितरबार का है,जहां एक व्यापारी ने 40-50 लाख के करार किसानों से किए। उनकी फसल ले ली और पैसा दिए बिना भाग गया। सुलह बोर्ड ने व्यापारी को संदेश दिया कि आकर बातचीत करें व पेमेंट करें। व्यापारी नहीं आया तो सुलह बोर्ड बना जिसमें एसडीएम

तहसीलदार व तीन किसान प्रतिनिधि मौजूद थे अगले दिन व्यापारी के मकान दुकान को कुर्क करने के आदेश दे दिया जिससे वसूली होगी। उन्होंने कहा कि शुरू में जो मोबाइल आया था तो ग्राहकों को कॉल करने के 16 रुपये तक देने होते थे। तब कॉल रिसीव करने के भी पैसे देने होते थे पर आज मोबाइल कॉलिंग

सस्ती हो गई है जिसका कारण व्यापारिक प्रतिस्पर्धा है। जब किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए बड़ा मंच मिलेगा अधिक व्यापारी होगें तो निश्चित तौर पर इसका लाभ किसानों को मिलेगा और किसानों उसकी फसल के उचित दाम मिलेगें। सरकार किसानों के खाली हाथों को भरना चाहती है। 

जमीन नहीं जाएगी क्योंकि जमीन का करार है ही नहीं-

उन्होंने बताया कि किसानों को अपनी फसल अपने घर से खेत से बेचने की आजादी है। किसान को अपनी फसल अपने देश के किसी भी राज्य में बेचने की सुविधा मिलेगी। और फसल का करार होगा न कि जमीन का जिस व्यापारी या कंपनी से करार होगा। करार में जो फसल की कीमत तय होगी वो व्यापारी को फसल हो या न हो फसल की कीमत देनी ही होगी करार तोड़ने पर कार्यवाही होगी। हां किसान को करार तोड़ने की कोई बाध्यता नही है वह बीच में भी करार तोड़ सकता है।

कांग्रेस को नहीं किसानों की बात करने का हक-

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि किसानों की बात करने वाली कांग्रेस को किसानों की बात करने का नैतिक हक है ही नहीं। मैं मध्यप्रदेश के संदर्भ में बात कर रहा हूं मंदसौर में राहुल गांधी बोलकर गए थे कि किसानों का दो लाख तक कर्ज दस दिन में माफ किया जाएगा यदि दस दिन में नहीं हुआ तो ग्यारहवें दिन नया मुख्यमंत्री आकर माफ करेगा।

किसान आंदोलन पर उठाए सवाल-

प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि वाशिंगटन में इस आंदोलन के समर्थन में महात्मा गांधी की प्रतिमा को खंडित किया जाता है, अपमानित किया जाता, खालिस्तान के पक्ष में नारे लगाए जाते हैं, तिरंगे का अपमान किया जाता है। मैं तो कहता हूं कि राजनीति छोड़ दीजिए। यह भी समझने की आवश्यकता है कि आंदोलन में कुछ प्रदेशों के किसान भाग क्यों ले रहे हैं बिहार

छत्तीसगढ़ या मध्यप्रदेश के किसानों की भागीदारी इस आंदोलन में नगण्य

क्यों है?