मामला दोनों पांव से मोहताज जाटव समाज की सिलपुरी ग्रामपंचायत का ।
सांची [जनकल्याण मेल] वैसे तो गरीब विकलांग विधवा बृद्धा निशक्त परिवार विहीन लोगों के भरण पोषण के लिए सरकारें अनेकों योजनाएं क्रियान्वित कर रही है परन्तु इन योजनाओं को धरातल पर जिम्मेदारी सम्हालने वाले किस प्रकार पलीता लगा रहे हैं सांची जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली ग्रामपंचायत सिल्पुरी की दोनों पांव से मोहताज जाटव समाज की महिला को चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है अधिकारी अपनी मनमर्जी के मालिक बन चुके हैं । समस्या के समाधान का मखोल उठाया जा रहा है ।
वैसे तो असहाय निशक्त जनों विधवा बृद्धा विकलांग लोगों के भरण पोषण के लिए शासन विभिन्न योजनाओं को लागू कर जीवन यापन की जिम्मेदारी वहन कर रही है परन्तु इन योजनाओं को लागू करने के पूर्व इन योजनाओं को तब पलीता लग जाता है जब वेतन के रूप में लंबी-लंबी राशि डकारने के बाद भी सरकारी पदों पर बैठने वाले लोगों को गरीब मुहताजो पर दया नहीं आ पाती जिससे ऐसे मोहताज लोग भूखों मरने की कगार पर पहुंच कर दफ्तरों के चक्कर लगाने पर मजबूर होना पड़ता है इनकी तरफ न तो प्रशासन ने ही शासन में बैठे लोगों की ही नजर पहुंच पाती है । ऐसा ही मामला सांची जनपद पंचायत आने वाली ग्रामपंचायत सिल्पुरी की दोनों पांव से विकलांग महिला उत्तरा बाई पति लखन लाल 35 वर्षीय महिला ग्रामपंचायत सिल्पुरी जो पांव विकलांग होने के कारण चलने से मोहताज है अपनी तीन सौ रुपए की पेंशन पाने के लिए चार साल से जप के चक्कर लगा रही है उक्त विकलांग महिला ने बताया कि पूर्व में यह पेंशन मिलती रही है तथा चार साल से पेंशन नहीं मिल सकी जिससे मेरे भरण पोषण की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है । इस मामले में ग्रामपंचायत सरपंच मालती बाई तथा सचिव राजेश समाधिया से सैकड़ों बार पेंशन उपलब्ध कराने की मांग की गई परन्तु उन्होंने जप सांची का कहकर पल्ला झाड़ लिया तथा सांची जप कार्यालय के पचासों चक्कर काटने के बाद भी समस्या नहीं सुलझ सकी ।जप सांची में पदस्थ समग्र सामाजिक सुरक्षा विस्तार अधिकारी के रूप में एक महिला अधिकारी जो भोपाल से आना-जाना करती है तथा सप्ताह में मात्र दो ही दिन आ जा पाती है जिन पर न तो सीईओ का ही अंकुश रह सका है न ही जिला प्रशासन का ही भय रहा है इस महिला को जप कार्यालय में बुलाया जाता है तथा स्वयं अनुपस्थित रहे जाती है जिससे पांव से मोहताज जो चल नहीं सकती लगभग 50 किमी दूर से किराए के रूप में लगभग दो सौ रुपए खर्च कर आ जा पाती है परेशानी उठानी पड़ रही है और तो और उक्त महिला अधिकारी जब 3 नवं को मतदान होना था उस दिन बुलाया इसके पश्चात् पुनः 4 नवं को बुलाया परन्तु स्वयं अनुपस्थित रही यह विकलांग अपने पति के साथ आकर सुबह से शाम तक बैठ कर वापस अपनी किस्मत पर रोते हुए तथा सरकार और प्रशासन को कोसने पर मजबूर होकर वापस लौट ग ई । जब कि उक्त महिला अधिकारी शासन से वेतन के रूप में लंबी राशि गैरहाजिर रहकर वसूल रही है ऐसा भी नहीं है कि इन सब गतिविधियों की जानकारी सीईओ जप को न हो परन्तु कहीं न कहीं कार्य प्रणाली संदेहास्पद बनी हुई है गरीबों के लिए चलने वाली शासन की योजनाओं को धरातल पर पहुंचने के पूर्व ही पलीता लगा रहे हैं तथा गरीबों को चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है इस ओर से शासन प्रशासन में बैठे जिम्मेदार मुंह मोडे हुए हैं ऐसा भी नहीं है कि इस जप पंचायत में अप-डाउन की गंभीर समस्या से अन्य अधिकारी कर्मचारी अछूते हो । उक्त लाचार महिला ने रोते हुए बताया कि वह हम चक्कर काट काट कर परेशान हो उठे हैं यहां अधिकारी हमें बुलाकर स्वयं लापता रहते हैं वैसे भी हमें प्रकृति ने चलने फिरने से मोहताज बना रखा है थोड़ा बहुत जो सरकारें निर्वाह के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पालन की व्यवस्था जुटा रही है कुर्सियों पर बैठे अधिकारियों को रास नहीं आ रहा है जिससे हम जैसे अनेक मोहताज लोग परेशानी उठाने पर अधिकारियों की मनमानी का कोपभाजन होना पड़ रहा है हम इस अपनी समस्या को लेकर मंगलवार को जिला कलेक्टर के संज्ञान में लाकर समाधान हेतु आवेदन प्रस्तुत करेंगे ।इनका कहना है।।।
इस मामले में मै समग्र सामाजिक सुरक्षा विस्तार अधिकारी रुचि तिवारी से चर्चा करूंगा कि पेंशन क्यो नही दी जा सकी । भगवान सिंह सीईओ जप सांची