इंजीनियर अल्केश निर्माण कार्य में बाधा बन, दे रहे क्लेश

 


वर्क कोड है जनरेट..मस्टर जारी पर नहीं दे रहे लेआउट, ग्रामीण बाट जोह रहे सड़क की


शहडोल [जनकल्याण मेल] जिले की पंचायतों में सचिव व सरपंचों की मनमानी और भ्रष्टाचार के किस्से तो बहुत सुने और देखे जाते रहे हैं। किंतु जिले का एक ऐसा भी जनपद है, जहां की पंचायतों में इंजीनियर की मनमर्जी विकास कार्य में बाधा बनी हुई है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने सहयोगी साबित हो रही है। जनपद जयसिंहनगर अंतर्गत लगभग दर्जन भर ऐसी पंचायतें हैं, जहां क्षेत्र के इंजीनियर की तूती बोलती है। उनके मनमर्जी के मुताबिक ही सारे निर्माण कार्य संपन्न होते हैं। विरोध करने वाले सचिव और सरपंचों को कार्यवाही का भय दिखाकर दबाव में रख, घटिया निर्माण कार्यों की इबारत लिखी जा रही है। ग्राम पंचायत घोरसा, बरकछ, टिहकी, बराछ, तेंदूआढ़, छकैनी, पथरहटा, बसही, पोंडी, रेउसा, खिड़वार व जोरा आदि ग्राम पंचायतें, जो कि अल्केश सिंह नामक इंजीनियर के कार्यक्षेत्र में आते हैं। यहां कुछ इसी प्रकार की वास्तविकता निकलकर सामने आई है।


कार्यपूर्णता पर लेआउट बनी बाधा


फिलहाल हम बात करते हैं ग्राम पंचायत बरकछ की, जहां 2 सीसी सड़क मस्टर व वर्क कोड जारी होने के बावजूद भी अब तक नहीं बन सकी है। बताया जाता है कि इंजीनियर द्वारा ले-आउट नहीं दिया जाना मुख्य बाधा है। ज्ञात हो कि 1 सीसी सड़क चिंतामणि के घर से रामलाल चर्मकार के घर तक, हरिजन बस्ती, मैर टोला, आंगनबाड़ी एवं प्राथमिक शाला स्कूल जाने के लिए तो दूसरी प्रधानमंत्री रोड से भाऊ कोल के घर तक आदिवासी मोहल्ला आने-जाने के लिए बनाई जानी थी। जिनका मस्टर जारी एवं वर्क कोड जनरेट हुआ है, साथ ही 1 दिन का मजदूरी भुगतान भी किया गया। लेकिन इंजीनियर अल्केश सिंह की मनमर्जी के चलते निर्माण पूर्ण नहीं हो सका है। गौरतलब है कि पंचायत के खाते में लगभग 46 लाख रुपए होते हुए भी विकास कार्य अवरुद्ध है, जो अपने आप में एक बड़ा सवाल है।


कार्य के नाम पर एडवांस राशि


उक्त इंजीनियर के कार्य में आने वाली पंचायतों में जहां निर्माण कार्य पूर्ण होने की बाट जोह रहे हैं, अधूरे निर्माण कार्यों के भुगतान आहरित हुआ है, चहेते ठेकेदारों से काम कराया जाकर घटिया निर्माण होने के बावजूद कार्यों का मूल्यांकन हो जाता है। कई कार्यो के नाम पर तो एडवांस राशि भी निकाल ली गई है। संपूर्ण जवाबदेही इंजीनियर की ही तय होती है, चूंकि मूल्यांकन के बाद ही भुगतान संभव हो सकता है।


घर में मूल्यांकन, कमीशन है तय


इंजीनियर अल्केश सिंह ने सभी निर्माण कार्य में अपना कमीशन दर निर्धारित रखा है। यह कमीशन कहीं 5 तो कहीं 7 प्रतिशत बताया गया है। इनके द्वारा अपने घर में बैठकर मूल्यांकन किया जाता है, जबकि नियमतः कार्यस्थल पर जाकर मौका मुआयना पश्चात ही मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इंजीनियर की इस प्रकार की कार्यशैली न केवल इनके पद की गरिमा के विपरीत है, अपितु वरिष्ठ अधिकारियों के दामन पर भी दागदार धब्बा स्वरूप है।


सरपंच ने लगाया इंजीनियर पर आरोप


आखिर क्यों सीसी रोड अभी तक नहीं बन पाई है, जबकि मस्टर और वर्क कोड जनरेट है? के जवाब पर सरपंच छोटीबाई कोल ने कहा कि हम लोगों की कोई गलती नहीं है। इंजीनियर साहब द्वारा लेआउट ही नहीं दिया जा रहा है, जिसकी वजह से यह काम पूर्ण नहीं हो सका है। उनके द्वारा अपने एक चहेते व्यक्ति को इन दोनों सड़कों के निर्माण के लिए ठेके पर दिए जाने का दबाव बनाया जा रहा है। जिसके लिए मना करने पर उनके द्वारा जानबूझकर लेआउट नहीं दिया जा रहा है। सरपंच ने यह आरोप लगाते हुए बताया कि इंजीनियर द्वारा जिस व्यक्ति को ठेका कार्य देने के लिए कहा जा रहा, उससे मेरा काफी पुराना विवाद है। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य के लिए ग्राम पंचायत एजेंसी स्वयं ही सक्षम है। ले-आउट मिल जाए तो जल्द ही निर्माण कार्य हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर इंजीनियर अल्केश को उनके मोबाइल नंबर पर कॉल कर उनका पक्ष भी जानने का प्रयास किया गया। लेकिन हमेशा की तरह उनका फोन एक बार फिर नहीं उठा।


इनका कहना है


ऐसा नहीं होना चाहिए। निर्माण कार्य पंचायत को ही करना चाहिए, ठेके पर नहीं। अगर इंजीनियर द्वारा दबाव बनाया जा रहा है तो यह गलत है। सरपंच सचिवों को हमारे पास आना चाहिए। बाकी मैं दिखाता हूं।


मुद्रिका सिंह पटेल


एड. सीईओ, जिला पंचायत शहडोल