विश्व ऐतिहासिक नगरी सांची कब होगी अतिक्रमण मुक्त

करोड़ों की सरकारी भूमि लील गया अतिक्रमण माफिया 


नसीम भाई 


सांची [जनकल्याण मेल] वैसे तो यह नगर एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों की श्रेणी में गिना जाता है परन्तु यहां अतिक्रमण माफिया प्रशासन की निष्क्रियता का फायदा उठाकर करोड़ों की बेशकीमती सरकारी भूमि लील चुका है तथा अतिक्रमण कारियो का सरकारी भूमि हड़पने का खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है प्रशासन मूकदर्शक तमाशबीन होकर लाचार बना गया है ।


वैसे तो यह स्थल एक विश्व ऐतिहासिक पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात है परन्तु इस नगर में पड़ी रिक्त सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कारी लील चुके हैं तथा लीलने का खेल लगातार जारी है जहां सारे प्र्रदेश में प्रशासन सख्त होकर अतिक्रमण कारियो के चंगुल से सख्ती बरतते हुए सरकारी भूमियों को रिक्त कराने की मुहिम चला रहा है परन्तु इस नगर का दुर्भाग्य है यह मुहिम इस विख्यात पर्यटक स्थल से कोसों दूर नज़र आ रही है खुलेआम अतिक्रमण कारी प्रशासन की नाक के नीचे तथा प्रशासन के सामने ही सरकारी भूमि हड़पने का खेल खेल रहे हैं परन्तु अतिक्रमण कारियो के सामने प्रशासन नतमस्तक बन चुका है इस नगर में करोड़ों की सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कारी काबिज हो चुके हैं तथा लगातार कोशिश जारी रखें हुए हैं जानते हुए भी प्रशासन में बैठे अधिकारी लाचार नजर आ रहे हैं इन अतिक्रमण कारियो को कभी प्रशासन रोकने की हिम्मत नहीं जुटा सका है इतना ही नहीं पठारी क्षेत्र की सरकारी भूमि को कब्जे में लेकर माफियाओं ने बेचने का खेल भी खेल लिया । इस खेल में शासकीय स्तर के लोग तो शामिल हैं ही वरन बाहरी लोगों के साथ ही राजनीति में हिस्सा लेने वाले भी अछूते नहीं हैं वहीं अनेकों ऐसे भी हैं जो अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए सरकारी भूमि की भेंट चढ़ा रहे हैं परन्तु इस पर लगाम लगाने की हिम्मत प्रशासन नहीं जुटा पाया है यहां तक कि जनपद पंचायत की रिक्त पड़ी भूमि के साथ ही अनुपयोगी हो चुके भवन भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं यही हाल नगर परिषद प्रशासन का भी बना हुआ है अतिक्रमण हटाने के नाम पर अतिक्रमण कारियो को सुविधा उपलब्ध कराने का खेल भी किसी से छिपा नहीं है तथा मूलभूत सुविधाओं की दरकार रखने वाले आज भी इन सुविधाओं से वंचित भटकने पर मजबूर दिखाई देते हैं अनेक अतिक्रमण कारियो ने तो प्रशासन को ठेंगा तो बता ही दिया वरन पुरातत्व विभाग के संरक्षित कानून को भी धता बता दिया प्रशासन द्वारा भी अतिक्रमण साबित होने के बाद भी सरकारी भूमि के मालिक बन बैठे । अनेक अतिक्रमण कारी तो शासकीय सुविधाओं का भी निशुल्क लाभ उठाने में पीछे नहीं दिखाई देते हैं ।हद तो तब हो जाती है जब न तो यहां रहने वालो ने ही मकान मालिकों की जानकारी न तो नगर परिषद ने ही राजस्व विभाग न ही पुलिस विभाग के पास ही होती है तब इस दशा में नप के विभिन्न करो से भी बच निकलने में कामयाब हो जाते हैं इस नगर में करोड़ों रुपए की बेशकीमती सरकारी राजस्व की भी लापता हो चुकी है परन्तु राजस्व विभाग नगरीय क्षेत्र का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेता है तथा नगर परिषद राजस्व की बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं ऐसी दशा में सरकारी भूमि अतिक्रमण कारियो की भेंट चढ़ चुकी है जहां तक पुलिस विभाग के नियम की बात होती है कि इस नगर में रहने वाले मकान मालिक तथा किरायेदारों का सम्पूर्ण ब्योरा पुलिस में पंजीकृत कराया जाना अनिवार्य होता है परन्तु पुलिस प्रशासन को भी इस नियम के लागू करने की फुर्सत नहीं मिल पाती जिससे पुलिस प्रशासन भी नगर में रहने वालों से अनभिज्ञ रह जाता है इस नगर में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं रहती जो कुछ करते दिखाई नहीं देते परन्तु एशो-आराम का जीवन गुजारते नजर आ जाते हैं यह नगर वैसे तो एक ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल के साथ ही संवेदनशील क्षेत्र के रूप में विख्यात है परन्तु ऐसी दशा में प्रशासन यहां रहने वालों से अनभिज्ञ बना रहता है इस दशा में इस नगर को आपराधिक असामाजिक गतिविधियों का अड्डा बनने से इंकार नहीं किया जा सकता है अतिक्रमण कारियो के साथ प्रशासन में बैठे अधिकारी कर्मचारियों की मिली भगत भी किसी से छिपी नहीं दिखाई देती ।बहरहाल यह नगर एक विश्व ऐतिहासिक पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात है यहां देश-विदेश के हजारों लोगों का आना-जाना लगा रहता है तथा इस नगर में पुरातत्व विभाग की अनमोल धरोहरों को सहेज कर रखा गया है इसी कारण इस क्षेत्र को संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है परन्तु इस विख्यात नगर में प्रशासन न तो रहने वालों की ही जानकारी रख पाता है न ही यहां भवनो की तथा यहां आने जाने वालों की ही जानकारी जुटा पाता है जिससे शासन की बेशकीमती जमीन जो कभी रिक्त हुआ करती थी नामोनिशान खत्म हो सा गया है । जिससे नगर में पानी निकासी पूरी तरह बंद हो गई है तो लोगों ने सड़कों को भी गलियों का रूप दे दिया है जो लोगों को परेशानी खड़ी कर देते हैं अनेक लोगों ने तो लोगों के रास्तों पर ही कब्जा जमा लिया है जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है परन्तु प्रशासन में बैठे लोग अनभिज्ञ बने बैठे हुए हैं । प्रशासन ऐसे ही बेखबर बना रहा तो सरकारी भूमि का नामोनिशान खत्म होने से इंकार नहीं किया जा सकता है ।