मामला भवन पर गिरे पेड़ के अंदर लगता है मनरेगा दफ्तर
सांची [जनकल्याण मेल] सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले अधिकारी इतने लापरवाह बन चुके हैं कि उन्हें न तो अपनी जान की फ़िक्र है न ही दफ्तर में आने वाले कर्मचारियों के साथ ही ग्रामीणों की ही फिक्र ही रहती है।
जानकारी के अनुसार इस विकास खंड में जनपद पंचायत का कार्यालय है इस जनपद पंचायत के अंतर्गत लगभग 77 ग्राम पंचायत आती है इस जनपद पंचायत के समीप ही कौशल विकास केन्द्र का भवन है कभी इस भवन में कौशल विकास केन्द्र कार्यालय हुआ करता था परन्तु कौशल विकास केन्द्र को रायसेन ले जाया गया तब से ही इस भवन पर जप अंतर्गत आने वाले मनरेगा व रोजगार गारंटी जैसी योजनाओं को चलाने वाले अधिकारियों का कब्जा जम गया हालांकि कौशल प्रशिक्षण केन्द्र के चलते भी इस भवन पर कब्जा मनरेगा योजना क्रियान्वित करने वाले अधिकारी कर्मचारियों का ही रहा है कौशल प्रशिक्षण केन्द्र जाने के बाद से ही पूरी तरह यह भवन जप अधिकारियों के अधीन आ चुका । परन्तु इस भवन के रखरखाव की दिशा में जप द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता जिससे इस भवन में जगह जगह फर्श में बिछे टाइल्स जर्जर हालात में पहुंच चुके हैं इतना ही नहीं इस भवन को अपने कब्जे में लेने के बाद से ही यह भवन गंदगी की चपेट में आ गया है बरसों से इस भवन की पुताई तक नहीं हो सकी । इस भवन के अंतर्गत शासन की प्रमुख गरीबों को लाभ पहुंचाने वाली जनहित कारी योजना के क्रियान्वित करने का काम मनरेगा एवं रोजगार गारंटी के अंतर्गत किया जाता है 77 पंचायतों का जिम्मा सम्हालने जप कार्यालय स्वयं ही स्वच्छता को तरह रही है तब आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासन का स्वच्छता अभियान पंचायतों में कहां तक कारगर हो रहा होगा यही हाल जनपद पंचायत के स्वयं के कार्यालय का भी बना हुआ है कार्यालय में अंदर पहुंचते ही गंदगी भरी बदबू आना शुरू हो जाती है जबकि इस कार्यालय में 77 पंचायतों से आने वाले सरपंच सचिवों के साथ ही रोजगार सहायकों के साथ आम ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर हर दिन आते जाते रहते हैं परन्तु इन सब गतिविधियों से जप लापरवाह बनी हुई है इतना ही नहीं मनरेगा कार्यालय लगने वाले भवन पर समीप ही लगा एक बृक्ष हवा के कारण गिर गया था परन्तु महीने गुजरने के बाद भी सम्बन्धित बेखबर बने हुए हैं इस बृक्ष के भवन पर गिरे होने से किसी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है लोग लगातार इस गिरे बृक्ष के नीचे से ही होकर आना-जाना करते आसानी से दिखाई दे जाते हैं परन्तु प्रशासनिक अधिकारी आंख मूंद कर बैठे हुए हैं भवन पर गिरे पड़े बृक्ष से न केवल भवन के अंदर आने जाने वालों पर खतरा मंडरा रहा है बल्कि इस गिरे बृक्ष के नीचे से गुजरने वाले लोगों को भी जान का खतरा खड़ा हो गया है परन्तु लापरवाह अधिकारियों को सुध लेने की फुर्सत नहीं मिल पा रही है जिससे कभी भी किसी बड़ी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है ।