रेलवे के कानून एवं कोविड-19 के नियमों को ताक पर रख, चलती ट्रेन में चल रहे अनेक अनाधिकृत काम

रेल प्रशासन की लचरता का लाभ उठा रहे लोग। 


सुरेन्द्र मिश्रा  


भोपाल [जनकल्याण मेल] 06 अक्टूबर 20 को मैं ट्रेन के निर्धारित समय से एक घंटे पूर्व हबीबगंज स्टेशन पहुंच गया। प्लेटफार्म नं. 01के प्रवेश द्वार पर ना कोई चेकिंग हुई ना हीं वहां पर कोई चैक करने वाला था । मैं 5 -7 मिनिट वहां खड़ा भी रहा और चारों तरफ निहारता भी रहा कि कोई तो दिखे इस बीच एक पुलिस वाला वहां मिल गया। उससे पूछा झांसी जाने वाली कुशीनगर किस प्लेटफार्म पर आयेगी। वह बोला प्लेट फार्म नंबर 03 पर चले जाओ मैं वहां चला गया। उधर चंद यात्री दूर - दूर बैठे हुए थे। मैं भी एक खाली ब्रेंच पर जा बैठा और मोबाइल चलाने लगा। करीब आधे घंटे बाद एक टीसी महोदय आये और टिकट की जानकारी मांगी तो मैने नाम और कोच नं. S - 3/17 बता दिया तो वह ओके कहकर आगे बड़ने लगे तो मैने पूछ लिया की प्रवेश गेट पर कोविड-19 की जांच पड़ताल नहीं हुई है, नाहीं वहां कोई मौजूद था क्या कारण है...? तो वह बोले प्रदेश सरकार की गाइड लाइन के अनुसार चैकिंग बंद कर दी गई है। मैने कहा कि रेलवे तो केंद्र के अधिनस्थ आता है, तो वह बोले यहां राज्य सरकार की गाइड लाइन चलती है। फिर मैने पूछा S - 3 कोच कहां आयेगा, वह बोले डिस्प्ले देखते रहना। यह कहकर टीसी आगे चला गया। मैं सुकून से बैठकर एलाउंस को सुनने कान और डिस्प्ले को देखने आंख लगाये हुए था । इस बीच पटरी पर ट्रेन आती दिखाई दी तो मैंने सोचा ना एलाउंस हुआ है ना डिस्प्ले चल रहा है। इसका मतलब और कोई गाड़ी आ रही होगी। जैसे ही इंजन के बाद डिब्बे निकले तो देखा कि यह तो कुशीनगर ही है। मेरे सामने S/12 नंबर का कोच आया। अंततः मुझे अपनी इस 62 की उम्र के पड़ाव में कोच नं. S-3 पकड़ने के लिए दौड़ लगाना पड़ी। जिससे मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ा पहुंची। 


भोपाल स्टेशन निकलने के बाद कोच में अनाधिकृत व्यक्तियों द्वारा पान मसाला, मूंगफली वाला, भीख मांगने वाली महिला और पुरुष के बाद किन्नरों की टोली अवैध बसूली करने आ धमकी । हमने जो अपनों के मुंह सुना था उसके विपरीत देखने को मिला। ट्रेन में ना तो गार्ड आया ना कोई पुलिस कर्मी यह सब बातें मुझे पीढ़ा दे रही थीं कि प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी के मार्ग निर्देशन में रेल मंत्री पियूष गोयल दिन- रात जनहित के काम में लगे हैं। वहीं रेलवे के कुछ लापरवाह अफ्सर एसी में बैठकर रेलवे एवं कोविड-19 के नियमों की धज्जियां उड़वा रहे हैं। 


...जब रेल मंत्री को किए ट्यूटर ने मचाया धमाल


09 अक्टूबर 20 को मैंने अपना काम कर ललितपुर से भोपाल के लिए कुशीनगर पकड़ी तो यहां प्लेटफार्म पर चैकिंग के उपरांत ही गाड़ी में चड़ने की परमीशन मिली। लेकिन जीरौन स्टेशन पास होते ही मेरे कोच नंबर S-12 में चना मसाला, पान मसाला, चाय, मास्क बेचने बालों के बाद पैसा मांगने वालों की कतार लग गई। कुछ समय बाद जैसे ही टिकट चैकर मेरी सीट पर आया, मैने टिकट दिखाने के बाद पूंछ लिया कि यह अनाधिकृत लोग ट्रेन में सामान क्यों बेच रहे हैं, तो उसने कहा सर हम स्वयं इनसे परेशान हैं। यह मानते नहीं है, हम इनकी शिकायत करते हैं। फिर भी यह आ जाते हैं। 


बस फिर क्या था मेरा माथा ठनका और धौर्रा स्टेशन के पास नेटवर्क मिलते ही मैने रेल मंत्री श्री गोयल को ट्यूटर कर जानकारी भेज दी। 


बीना स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 01 पर गाड़ी खड़ी होते ही मेरे मोबाइल फोन की घंटी खनखना गई। सब इंस्पेक्टर विजय कुमार दलवल सहित मुझसे मिलने आ गये। उन्होंने मुझसे विस्तृत जानकारी ली, बात को समझा और मुझे विश्वास दिलाया कि अनाधिकृत लोगों को वख्शा नहीं जायेगा। 


हमारे और विजय कुमार के संवाद के दौरान पुलिस वल के साथ चैकिंग स्टाफ प्रत्येक कोच की छानबीन में जुट गए थे। अंततः बीना से जब कुशीनगर भोपाल को प्रस्थान हुई तो स्टाफ की सघन चैकिंग के चलते अनाधिकृत लोग नजर नहीं आये।। 


सबाल अब यह है कि क्या रेलवे के वह उच्च पदस्थ अधिकारी अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वाहन करते रहेंगे या हफ्ते दो हफ्ते बाद यह ढर्रा फिर चालू हो जायेगा। यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।