कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नहीं हुए थे शामिल
कमलनाथ कैबिनेट से दरकिनार करने की टीस भुला नहीं पाए हैं के पी सिंह
[संजय बेचैन]
शिवपुरी - मध्य प्रदेश कांग्रेस से नाराज चल रहे पिछोर से कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री के पी सिंह कक्काजू कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं, इस बात की पूरी पूरी संभावना बनती नजर आ रही है। कमलनाथ कैबिनेट में जिस तरह से के पी सिंह कक्काजू की वरिष्ठता की अनदेखी कर उन्हें साइड लाइन किया गया और उनसे जूनियर नेताओं को मंत्री पद से नवासा गया, उस अपमान को वे सरकार के पतन के बाद भी अभी तक भूल नहीं पाए हैं। उनकी नाराजगी दिग्गीराजा के प्रति भी मानी जाती रही है जिन्होंने मंत्रिमण्डल में शुमारी के समय उनके नाम की पैरवी तक करना मुनासिब नहीं समझा था। पिछले कुछ समय से केपी सिंह के भाजपा में जाने संबंधी अटकलें लग रही हैं, हालांकि उन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले किंतु कल राज्यसभा चुनाव में मतदान को लेकर कॉन्ग्रेस विधायक दल की बुलाई गई बैठक में जिस तरह केपी सिंह ने अपनी अनुपस्थिति दर्ज कराई उसके बाद से यह कयास और भी जोर पकड़ गए। इतना ही नहीं आज केपी सिंह कक्काजू राज्य सभा की वोटिंग के लिए भाजपा की अग्रिम पंक्ति के नेताओं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के बीच बड़े इत्मिनान से बैठे दिखाई दिए। यह तस्वीर अपने आप में बिना कुछ कहे ही सब कुछ कहती दिखाई दे रही है।
लगातार कांग्रेस के टिकट पर छठवीं बार जीत दर्ज कराने वाले केपी सिंह कांग्रेस के वरिष्ठतम विधायकों में शामिल हैं बावजूद इसके कमलनाथ कैबिनेट में उन्हें कोई स्थान ना दिया जाकर सीधे.सीधे उनकी उपेक्षा की गई तब से वे अपमान का घूंट पीए बैठे हैं। समय.समय पर उनके सोशल साइट पर अपडेट किए जा रहे उनके स्टेटस भी उनकी अंतव्र्यथा को उजागर करते रहे हैं । पिछोर विधायक के पी सिंह उन नेताओं में शामिल है जिनकी परफ ॉर्मेंस गत लोकसभा चुनाव के दौरान भी बेहतर रही और इनके विधानसभा क्षेत्र पिछोर से लोकसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया को विजय हासिल हुई, जबकि वह अन्य विधानसभा क्षेत्रों से पराजित हुए। इन हालातों में केपी सिंह को मंत्रिमंडल से दूर रखने का कोई कारण नहीं बनता था। दिग्विजय सिंह का पुत्र मोह और कांग्रेस में व्याप्त गुटबाजी ने हर तरह से इस डिजर्विंग नेता को हाशिए पर लगाए रखने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी। केपी सिंह इस उपेक्षा को लेकर तभी से नाराजगी का भाव लिए बैठे हैं। इन हालातों में अब एन समय पर यदि वे भाजपा में जाने का निर्णय लेते हैं तो इसमें आश्चर्य जैसी कोई बात नहीं होनी चाहिए। इतना तय है कि जनाधार वाले नेता केपी सिंह का कांग्रेस से पल्ला झटकना न केवल शिवपुरी जिले में बल्कि ग्वालियर अंचल में कांग्रेस अब तक की सबसे बड़ी क्षति होगी जिसकी भरपाई वह लंबे समय तक शायद ही कर पाए जबकि यह भाजपा के लिए बड़ी रणनीतिक जीत साबित हो सकती है। कल से आज तक जो कुछ माहौल बनता जा रहा है उसे देखते हुए पिछले लंबे समय से चली आ रही केपी सिंह के कांग्रेस छोडऩे संबंधी अटकलों को और बल मिलता दिखाई दे रहा है। माना जा रहा है कि आने वाला समय कुछ कुछ भी दृश्य दिखा सकता है। इस सम्बंध में जब उनसे चर्चा कर उनकी राय जानना चाही तो वे इन अटकलों का खण्डन या समर्थन करने की बजाए रहस्यभरी मुस्कान से प्रश्न को टाल गए।