खरीदी केन्द्रों पर अनियमितताओं केे संबंध में कलेक्ट्रेट पहुंचा किसान संघ


29 अप्रेेल से होना थी चने की खरीद, न मैसेज पहुंचे न होे रही सुनवाई, किसानों से वसूली जा रही राशि



अशोकनगर:(जनकल्याण मेल)।  राज्य सरकार द्वारा चना खरीदी केंद्र प्रारंभ न करने से परेशान किसानों ने शनिवार को जिला प्रशासन को शिकायत दर्ज कराई। वहीं किसानों की अन्य समस्याओं कोे लेकर कई मांगे भी रखीं। किसान संघ के पदाधिकारियों ने किसानों के साथ हो रहे व्यवहार से भी जिला प्रशासन को अवगत कराया।शाढौैरा के खरीदी केंद्र पर किसानों से 4 किलोे अधिक उपज तोेेले जाने की शिकायत भी की।
भारतीय किसान संघ के राजकुमार रघुवंशी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 29 अप्रेल सेे चना व सरसौं की तौल प्रारंभ की जानी थी जिसेेे आज तक प्रारंभ नहीं किया गया है। जबकि विभाग ने 29 तारीख से चना, सरसौं की खरीदी संबंधी निर्देश जारी किये थे। चना व सरसौं की खरीदी शुरू नहीं किए जाने से किसान बडे परेशान होकर बार- बार खरीदी केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं। उनका कहना है कि अभी तक न तोे किसानों के पास मैसेज आये हैं और न ही किसानों को कोई जानकारी दी जा रही है। खाद्य विभाग में अधिकारी सही जानकारी देते नहीं है। उपार्जन केंद्रों पर किसानों से हम्मालों द्वारा पैसे की मांग की जा रही है जिसे रोकने के लिये प्रशासन को अवगत कराया गया साथ ही सैंपल के नाम पर किसानों की ट्रालियों में से सर्वेयर अधिक मात्रा मेंअनाज निकालकर अपने साथ ले जाते हैं। जिसका नुकसान किसानों को उठाना पडता है। किसान संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि केंद्र प्रभारी मुंशी किसानों से पैसा लेने केे लिये हम्मालों पर दबाव बनाते हैं। शाढौरा केंद्र पर किसानों की उपज की 4 किलो ज्यादा तौल की जा रही है। जिसे बंद कराने की मांग के साथ ही किसानों से अवैध रूप से से पैैसों की मांग पर रोक लगाने की मांग की है।


खरीदी केंद्र नईसराय, ध्यानपुर, डंगोरा सहित अन्य केन्द्रों पर 5-6 दिनों से किसान तपस्या कर रहे हैं उनकी उपज की तुलाई नहीं हो पा रही है। जिससेे किसानों को अपना घर छोडकर अपनी उपज की रखवाली करनी पड रही है। किसान गुरमीत संधु ने बताया कि विभाग के अधिकारी केंद्रों पर जांच करने नहीं पहुंच रहे हैं जिससे मनमानी चल रही है ‌किसानोंकी उपज के मेसेेज करकेे आज बुलाया जाता है और 5- 6 दिन तक रोका जाता है। रसीद पावती के नाम पर 200 रूपये की मांग हो रही है। गेट पास तक के पैसे किसानों से लिये जा रहे है।


जिससे किसानों ने विरोध करने का रास्ता अपनाया है। यदि उपार्जन केंद्रों पर सुधार नहीं होता है तो किसान अपनी उपज लेकर कलेक्ट्रेट भवन पहुंचने को मजबूर होंग।