औषधि निर्माण की भावना से भक्तावरजी के साथ दीप प्रज्वलित किये

अंचल में हुई अढतालीस दीपों से महाआरती


सुधासागरजी महाराज ने पड़ें रिध्दि मंत्र।


अशोकनगर:(जनकल्याण मेल)। दुनिया को कोरोना महामारी की औषधि निर्माण की मंगल भावना से मानवता का दिव्य सन्देश देने वाले भगवान वृषभदेव की महाभक्ति रूप श्री भक्तांवरजी के रिध्दि मंत्रों के साथ दीप प्रज्वलन किया गया।


मध्यप्रदेश महासभा के संयोजक विजय जैन धुर्रा ने वताया कि मुनि पुगंव सुधासागरजी महाराज ने अपने सन्देश में कहा कि कोरोना वायरस की औषधि का निर्माण वैज्ञानिक करें ऐसी भावना वहाएं। इस हेतु भक्तांवरजी का पाठ विगत शाम को जैन चैनलों के माध्यम से विजोलिया में विराजमान जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभाव शिष्य मुनि पुगंव सुधासागरजी महाराज ने भक्तांवरजी के पाठ के साथ ही रिध्दि मंत्रों का उच्चारण अपने मुख से किया दीप प्रज्वलन प्रदीप भइया ,महावीर भइया ने मुनि श्री महासागरजी महाराज, मुनि श्री निश्कम्प सागर ,क्षुल्लकश्री धैर्यसागर, गम्भीर सागरजी के सान्निध्य में इनकी प्रेरणा से घरों में कर  भगवान की अढ़तालीस दीपों से महाआरती की गई।


इस दौरान भक्तांवरजी के एक एक कड़े के साथ एक-एक रिध्दि मंत्र के साथ दीप प्रज्वलन किया


व दुनिया से कोरोना जैसी महा मारी शीघ्र दूर हो और सभी प्राणी इसके भय से मुक्त हो ऐसी कामना की।


आदिनाथ की महाआरती उतारी-



अक्षय तृतीय की शाम को  भगवान की अढ़तालीस रिध्दिमंत्रों से प्रज्वलित दीपो द्वारा परिवार जनों ने महाआरती की। सीधे प्रसारण से  मुंगावली, पिपरई, राजपुर ,शाडोरा ,गुना ,चन्देरी ईसागढ़, बहादुरपुर सहित पूरे अंचल में दीप प्रज्वलन कर भक्तांवर पाठ किया गया व महा आरती की गई।



औषधि निर्माण की भावना से करे अनुष्ठान -सुधासागरजी



आज देश भर के भक्तों को सम्वोधित करते हुए मुनि पुगंव सुधासागरजी महाराज ने कहा कि कोरोना महामारी को रोकने में दुनिया को सफलता नहीं मिल रही ऐसे में हमें इस महामारी की औषधि की खोज वैज्ञानिक कर सकें ऐसी भावना के साथ हम भगवान के रिध्दि मंत्रों का उच्चारण कर दीप प्रज्वलन करेंगे और कामना करेंगे कि शीघ्र ही कोरोना की औषधि प्राप्त हो अब इससे किसी की जान पर आफत ना आये।मुनिश्री ने कहा डॉ वैध्यों के साथ वैज्ञानिक निरंतर प्रयास कर रहे हैं बहुत से लोग अपना नाम चमकाने अपनी ओर से दवा बनाने का दावा कर रहे हैं इस पर तब तक विश्वास ना करें जब तक सरकार घोषणा ना कर दे।



धर्म की क्रिया मन्दिर में नहीं घर में करें-



आज आपको मौका मिला है घर को मन्दिर बनाने का


धर्म मन्दिर के बाद घर में ही सबसे अधिक हो सकता है। क्योंकि घर में भी सभी तरह की अनुकुलताएं रहती हैं इसलिए धर्म की क्रिया मन्दिर के स्थान पर घर में ही करें।धर्म का स्वरूप बहुत व्यापक है।जीवों पर दया करना दान देना सेवा करना ये सब धर्म ही है और सबसे बड़ा धर्म तो अपने आप की सुरक्षा है इसलिए सबसे पहले अपनी सुरक्षा करते हुए जीव मात्र की रक्षा का भाव बनाना चहिये।