मुज़फ़्फ़र अंसारी
[ चन्देरी - जनकल्याण मेल ] कोरोना एक ऐसा नाम हो चला है क़ि इंसान सोते हुए भी इसका नाम सुन कर चौकन्ना होने लगा है । ये ना अब मात्र चीन के लिए ही अपनी आग़ोश में लिए है बल्कि सारे विश्व को शने - शने अपने शिकंजे में कसता जा रहा है । किसको मालूम था की यह मुसीबत सिर्फ़ चीन की नही रहेगी उसके शिकार दुनियाँ के लाखों लोग हो जाएँगे । आज विश्व की हर छोटी बड़ी दवा कम्पनियाँ इस वायरस से निपट ने के लिए दवा खोजने में लगी हैं , कब दवा मिलेगी कब इलाज होगा इसका इंतिज़ार करना बहुत देर करना है , जब सरकारें आम नागरिकों से निवेदन कर रहीं हैं कि इसका फ़ौरी तौर पर सबसे बड़ा इलाज अपने आपको आपने घरों में बंद रखना है । हमें इस बात की कद्र करनी चाहिए क़ि ये ना सिर्फ़ आपके हित में होगा बल्कि देश और इंसानी नस्ल के हित मे भी होगा । इस मुसीबत से बचाओ करने में परेशानियाँ ज़रूर है ,पर इससे मिलने वाला छुटकारा भी इसी मे छिपा है और जो अधिक सुखदाई है ।
हर छोटा - बड़ा आदमी अपने रोज़मर्रा के काम के लिए चिंतित है जो लोग हर रोज़ कमाते खाते थे वो निश्चित ही अधिक परेशान हैं । बड़े-बड़े और छोटे गाँव के मध्य छोटा सा नगर चन्देरी है जो विश्व में चन्देरी वस्त्र उध्योग और ऐतिहासिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध है , आज सन्नाटे की आग़ोश में है , सारी ऐतिहासिक इमारतों पर ताला लगा हुआ है , सारी होटलों के दरवाज़े पर्याटकों के लिए बंद कर दिए गए हैं सब कुछ शून्य हो गया है । यहाँ के लोग भी आइ हुई मुसीबत को टालने के लिए द्रण संकल्पित हैं । चन्देरी के लिए एक अच्छी बात ये है क़ि यहाँ का वस्त्र उद्योग लघु उध्योग है जिसको सिर्फ़ घर पर ही बैठ कर किया जाता है , यहाँ का बुनकर समुदाय हफ़्ते के दिन अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरत की वस्तुयें हाट बाज़ार के दिन ही ख़रीदते हैं बाक़ी दिनों में अपने घरों पर ही रहते है आम दिनों में भी बाज़ारों में भीड़ - भाड़ कम ही रहती है ,इसलिए इस कारोबार में बहुत अधिक फ़रक नही पड़ेगा हाँ मज़दूर को मज़दूरी ज़रूर देर सबेर मिलेगी पर कारोबार चलते रहने में बाधा नहीं पड़ेगी , हाँ जो व्यापारी माल ख़रीद फ़रोख़्त करने चन्देरी आते हैं वो ज़रूर नही आ सकेंगे। यहाँ के सेठ / मास्टर बुनकरों पर सारा दारो -मदार है है कि,वह अपने बुनकारो को इस मुसीबत की घड़ी में कितना साथ देते है । फ़िलहाल तो सब की नज़र कोरोना से सम्पूर्ण छुटकारे की ओर है ।