लोक सूचना अधिकारी की मनमानी सूचना के अधिकार अधिनियम से भारी ...?


नहीं दी जा रही सूचना के अधिकार के आवेदनों पर जानकारी


अनावश्यक टीप लगाकर किया जा रहा आवेदनों को अमान्य


चंदेरी -[ जनकल्याण मेल ] सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 भारत सरकार द्वारा जनता और शासन के मध्य पारदर्शिता बनाने, सरकारी विभागों को अधिक जवाब देह् बनाने, कार्य में पारदर्शिता लाने, सरकार के सभी कदमों को आम जनता के समक्ष जांच के दायरे में लाने, समाज के गरीब एवं कमजोर वर्गों को सार्वजनिक नीतियों और कार्यों के बारे में जानकारी मांगने हेतु सशक्त बनाना था इस अधिनियम में समस्त विभागो को  अधिनियम के तहत चाही गई जानकारी प्रदान करने हेतु बाध्य करना था।
किंतु मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के चंदेरी तहसील की नगर पालिका परिषद प्रदेश की ही नहीं अपितु देश की एकमात्र नगरपालिका होगी जिसमें लोक सूचना अधिकारी की मनमानी के चलते सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी पर अनावश्यक टीप लगाकर आवेदनों को निरस्त कर दिया जाता है जिससे परेशान होकर आवेदक को दो-तीन माह तक प्रथम एवं द्वितीय अपील हेतु बाध्य होना पड़ता है प्रथम एवं द्वितीय अपीलीय अधिकारियों के द्वारा  जिम्मेदारों पर  समय रहते कोई ठोस कारवाही नहीं करना एक आवेदक को हतोत्साहित तो करता ही है उक्त लापरवाही पूर्ण  कार्यवाही  से एक नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन तो होता ही है और भ्रष्ट अधिकारियों को अपने द्वारा किए गए काले कारनामों पर पर्दा डालने का समय एवं उनके द्वारा किए गए कृत्य को बल मिलता है।


विगत 5 वर्षों में नपा चंदेरी में  व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार की है संभावना


उल्लेखनीय है कि तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी केके पटेरिया, विश्वनाथ प्रताप सिंह का कार्यकाल वर्ष 2015 से 2019 तक रहा है जिसमें शासन के समस्त नियमों को ताक पर रखकर व्यापक स्तर पर शासकीय राशि का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार किए जाने की संभावना देखी गई हैं इस भ्रष्टाचार से संबंधित जानकारी को सार्वजनिक किए जाने के डर से विभाग के लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदकों द्वारा चाही गई जानकारी  यथा समय प्रदान नहीं की जा रही हैं या फिर अनावश्यक टीप लगाकर आवेदन को अमान्य कर दिया जा रहा है। क्योंकि विगत 5 वर्षों में नपा चंदेरी द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को सार्वजनिक करने का एकमात्र तरीका सूचना का अधिकार अधिनियम ही है जिससे नपा चंदेरी में किए गए व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार को उजागर किया जा सकता है।


तत्कालीन , तात्कालिक नपा अधिकारी अनावश्यक टीप लगाकर कर रहे आवेदनों को निरस्त


तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी केके पटेरिया एवं विश्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल में लगभग 170 सूचना के अधिकार के आवेदन कार्यालय को प्राप्त हुए हैं जिसमें से लोक सूचना अधिकारी चंदेरी द्वारा


*लोकहित स्पष्ट ना होने के कारण 98 आवेदन*,
*विशिष्टकरणों का उल्लेख ना होने के कारण*
*कार्यालय में रिकॉर्ड उपलब्ध ना होने के कारण*
*न्यायालय में प्रचलन एवं एसडीएम कार्यालय में रिकॉर्ड जमा होने से *एवं कई आवेदनों को प्रश्नगत दर्शा कर  अमान्य कर दिया गया है*।


*इस प्रकार 140 से अधिक आवेदनों को अनावश्यक टीप लगाकर अमान्य कर दिया गया है तथा 16 आवेदनों का प्रथम अपील के पश्चात एवं शेष आवेदनों पर बमुश्किल जानकारी उपलब्ध कराई गई है*।


*नपा चंदेरी में आवश्यक है सहायक लोक सूचना अधिकारी का प्रभार परिवर्तन*


विगत 5 वर्षों से सहायक लोक सूचना अधिकारी नपा चंदेरी का प्रभार विनियमित कर्मी दिलीप कोली के पास है जो कि लगातार अनावश्यक टीप लगाकर एवं लापरवाही पूर्ण रवैया अपनाकर सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त आवेदन को अमान्य कर रहे हैं जिसमें नपा चंदेरी के अधिकारियों की मिलीभगत शामिल है जिससे सूचना के अधिकार पर से लोगों का दिन प्रतिदिन विश्वास उठता जा रहा है और बे संविधान में वर्णित अधिनियम के प्रति अधिकारियों के गैर जिम्मेदार रवैया को लेकर अपने आप को इस नगर  ठगा सा महसूस कर रहे हैं।