अशोकनगर:(जनकल्याण मेल) 80 के दशक में भाजपा से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले जुझारू दबंग नेता बलवीर सिंह कुशवाहा का बुधवार को अचानक हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। भारतीय जनता पार्टी में एक कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक सफर शुरू करने वाले स्व कुशवाहा तत्कालीन नगर पालिका परिषद में पहली बार वार्ड नंबर 15 से पार्षद चुने गए। जब भाजपा का प्रादुर्भाव ही हुआ था उस समय उनकी जुझारू नेतृत्व क्षमता के चलते भाजपा ने उन्हें न पा परिषद वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनाया परिषद में अपनी बात को बेबाकी से रखने वाले श्री कुशवाह अपने चाहने वालों के बीच भी उतने ही लोकप्रिय थे जितने शहर में, साधारण सा व्यक्तित्व गंभीर सोच और दबंगी से काम करना उनकी कार्यशैली की विशेषता थी। भाजपा संगठन के चुनाव के दौरान जब उनकी मंशा के अनुरूप संगठन में उन्हें जगह नहीं मिली और ऊपर से नेता थोपा गया तो उन्होंने तत्काल संगठन से किनारा करते हुए अपनी आस्था बदल ली और बहुजन समाज पार्टी में आकर अपनी राजनीति का सफर बढ़ाया दो बार विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद दूसरी बार में उन्हें बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर अशोकनगर विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला उस समय क्षेत्र की राजनीति में कोई ऐसा नेता नहीं था जो आम लोगों की ख्वारईश को पूरा कर सके क्षेत्रवासियों को बलवीर कुशवाहा में एक दबंग राजनेता की छवि नजर आई और हर आम व खास का छोटा या बड़ा काम हो ,तुरंत निपटाने की कला में माहिर श्री कुशवाहा को अपना नेतृत्व सौंपने में देर नहीं की और बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर तीसरे प्रयास में अशोकनगर विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बने लेकिन प्रदेश में कांग्रेस सरकार में आई और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने। क्षेत्र की जनता से किए गए वादे पूरे करने की जिम्मेदारी और सरकार से क्षेत्र के विकास में लाभ लेने की मंगो के चलते पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से प्रभावित होकर बहुजन समाज पार्टी छोड़ कांग्रेस में जा मिले इसका फायदा भी क्षेत्र की जनता को मिला क्षेत्र में विकास के साथ लंबे समय से अशोकनगर को जिला बनाने की मांग उठ रही थी उसे मूर्त रूप देने में बलवीर कुशवाहा ने बड़ी भूमिका निभाई और चुनाव पूर्व 2003 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अशोकनगर लाकर उनसे अशोकनगर को जिला बनाने की घोषणा करवाई जिससे शहर सहित क्षेत्र का चौमुखी विकास हो सके और ऐसा हुआ भी जिला बनने के साथ शहर का विकास भी हुआ और विस्तार भी । इसी के साथ श्री कुशवाहा को यह उम्मीद थी कि उन्होंने आपने विधायकी कार्यकाल में क्षेत्र में जो काम किए हैं उनकी बदौलत एक बार फिर उन्हें विधायक चुना जाएगा और कांग्रेस के टिकट पर अशोकनगर विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन इस बार वह जनता की मनसा समझ ना पाए या यूं कहें कि क्षेत्र की जनता के मूड को वह नहीं भाप सके और उन्हें इस बार पराजय का मुंह देखना पड़ा ।राजा - महाराजा के बीच मैं फसी क्षेत्र की कांग्रेस की राजनीति को एक बार फिर से अलविदा कह कर मुंगावली क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन इस बार उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा। लेकिन कांग्रेस से बाहर रहकर भी उनके संबंध राघौगढ़ के राजा और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से घनिष्ठ और बरकरार रहे। और जब विधानसभा चुनाव के पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह नर्मदा परिक्रमा कर रहे थे उसी दौरान उनसे मिलने और परिक्रमा का भागीदार बनने स्वर्गीय कुशवाह उनके पास पहुंचे तब उन्हीं के परामर्श पर लौट कर आ कर अशोकनगर के विश्राम गृह में जहां क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ठहरे हुए थे और कांग्रेस की ओर से मध्य प्रदेश चुनाव की कमान संभाल रखी थी उनके समक्ष स्वर्गीय श्री कुशवाहा ने एक बार फिर से कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की लेकिन पूरी लगन से काम करने के बाद भी पार्टी में उन्हें कोई खास तवज्जो नहीं मिली अपने सम्मान को बरकरार रखने के लिए उन्होंने चुप बैठे अपने घर रहना ही उचित समझा इधर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन चुकी और कमलनाथ मुख्यमंत्री है लेकिन स्वर्गीय श्री कुशवाहा को पार्टी द्वारा लंबे समय से हाशिए पर रखा गया । इसी के चलते अपनी पार्टी की प्रदेश में सरकार होने के बावजूद वह सक्रिय राजनीति से दूर रहे उनके शुभचिंतक और मिलने वाले गांधी पार्क पर उनके प्रतिष्ठान पर आकर उनसे मिलते रहे हंसमुख स्वभाव के कुशवाह हमेशा अपने शुभचिंतकों से घिरे रहे और राजनीतिक माहौल, चर्चाओं को देखते सुनते रहे। कभी किसी पद के लिए अपनी दावेदारी प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने के बावजूद उन्होंने नहीं जताई। अपने निधन के 1 दिन पूर्व वह पूर्ण स्वस्थ रहे श्री कुशवाह अपने शुभचिंतकों से भी मिलते जुलते रहे लेकिन अचानक बुधवार सुबह हृदय गति रुक जाने से उनका निधन हो गया और एक जुझारू और दबंग राजनीति का अंत हुआ। लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ कि पूर्व विधायक और जुझारू नेता अब इस दुनिया में नहीं है। बुधवार को शाम के समय उनके पार्थिव शरीर को स्थानीय पठार स्थित विश्राम गृह में उनके जेष्ठ पुत्र द्वारा मुखाग्नि देकर पंचतत्व में विलीन किया गया । उनकी अंत्येष्टि में शहर के सभी प्रमुख गणमान्य नागरिक और राजनैतिक दलों के लोग पहुंचे और मृत आत्मा के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।