भोपाल - राज्य स्तरीय पुलिस कन्ट्रोल रूम डायल -100 एवं राज्य स्तरीय सी.सी.टी.व्ही. कन्ट्रोल रूम (SCMRC) का महालेखाकार मध्यप्रदेश डी. साहू द्वारा भ्रमण किया गया । उनके साथ उप महालेखाकार जितेंद्र तिवारी , वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी श्री अतुल सुर्वे, सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी के. शाजी कुमार, सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी राजीव माथुर भी थे । अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (दूरसंचार) उपेन्द्र जैन एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (रेडियो) साकेत प्रकाश पाण्डेय द्वारा भ्रमणकर्ता अधिकारियों को डायल-100 सेवा एवं सी.सी.टी.व्ही.सर्विलेंस योजना की विस्तृत जानकारी दी गई । श्री जैन द्वारा अधिकारियों को डायल -100 कन्ट्रोल रूम में प्राप्त सूचनाओं पर की जाने वाली कार्यवाही से अवगत कराया गया तथा उन्हें डायल-100 कन्ट्रोल रूम के कॉलटेकर कक्ष, डिस्पेचर कक्ष एवं सर्वर रूम आदि का भ्रमण कराया गया । अधिकारियों को डायल-100 टीम द्वारा डायल-100 वाहन (एफ.आर.व्ही.) भी दिखाया गया तथा उसमें रखे जाने वाले उपकरणों का अवलोकन भी कराया गया । श्री साहू एवं उनकी टीम को अमनि (दूरसंचार) श्री जैन द्वारा सी.सी.टीव्ही. कन्ट्रोल रूम दिखाया गया एवं इस योजना की जानकारी दी गई तथा उन्हें प्रदेश के कई शहरों की लाईव वीडियो फीड भी दिखाई गई एवं व्हीकल डिटेक्शन पोर्टेल की जानकारी दी गई । भ्रमण कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक सी.सी.टी.व्ही. श्रीमति नीतू ठाकुर, पुलिस अधीक्षक (रेडियो) डायल-100 श्री बी. एम. शाक्य, सहायक पुलिस महानिरीक्षक अभिषेक दीवान, पुलिस अधीक्षक डायल-100 श्रीमति बीना सिंह, पुलिस अधीक्षक संचार महफूज खान एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे ।
डायल-100 सेवा नें अभी तक 84 लाख स्थानों पर पहुँचकर पीड़ितों को पुलिस सहायता पहुँचाई है
डायल-100 सेवा के शुभारम्भ दिनाँक 01 नवंबर 2015 से अभी तक 84 लाख से अधिक स्थानों पर एफ़.आर.व्ही. वाहन द्वारा पहुँचकर पीड़ितों तक पुलिस सहायता पहुँचाई गई है । प्रदेश भर में 24×7 घण्टे तैनात 1000 डायल-100 वाहन एवं 150 मोटर बाईक्स प्रतिदिन 7 हज़ार स्थानों पर पहुँचकर सहायता प्रदान कर रहे हंए । इसके अतिरिक्त एफ़.आर.व्ही. वाहनों द्वारा प्रदेश भर में प्रतिमाह लगभग 30 लाख किलोमीटर पेट्रोलिंग की जा रही है । अभी तक सड़क दुर्घटनाओं की 5 लाख 30 हज़ार सूचनाओं पर घायलों की मदद की गई है तथा इनमें से लगभग आधे से अधिक मामलों में डायल-100 वाहनों द्वारा घायलों को अस्पताल पहुँचाकर उनकी जीवन रक्षा की है । रास्ता भटक गए लगभग 13 हज़ार बच्चों को उनके परिजनों तक सुरक्षित छोड़ा एवं 716 परित्यक्त नवजात शिशुओं को समय पर अस्पताल पहुँचाकर उनके प्राणों की रक्षा की है । अभी तक 79 हज़ार से अधिक अवसादग्रस्त व्यक्तियों एवं महिलाओं को आत्महत्या करनें से रोका गया है तथा आत्महत्या का प्रयास कर चुके लोगों को समय पर अस्पताल पहुँचाकर उन्हें चिकित्सा सहायता उप्लब्ध कराई गई है ।