चंदेरी हैंडलूम एवं चंदेरी की संस्कृति होगी विश्व भर में प्रसिद्ध   


अभय खेर , अशोकनगर 


यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क द्वारा चंदेरी को नॉमिनेट किया गया है चंदेरी की कलाकृति एवं हैंडलूम के लिए यह मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा संचालित किया जाएगा 


मई 15 को यूनेस्को द्वारा सांस्कृतिक एवं कलाकृति हैंडलूम के तत्वधान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें चंदेरी की सांस्कृतिक एवं हैंडलूम की प्रदर्शनी रखी गई थी जिसे वहां उपस्थित पर्यटको द्वारा उन्हें खूब सराहा था इसी तत्वधान में यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क ने तय किया कि चंदेरी के कला एवं संस्कृति को विश्व भर में यूनेस्को के सिटी नेटवर्क कार्यक्रम में लिया जाएगा
चंदेरी में 14 वी एवं 15 ईस्वी में बुनाई का कार्य प्रारंभ हुआ सर्वप्रथम राजा महाराजाओं के कपड़े यानी की पोशाक तैयार किए जाते थे, कालांतर के बाद में साड़ियों का निर्माण शुरू हुआ जिसे आज देशभर में चंदेरी साड़ी की पहचान प्राप्त हुई है पर यूनेस्को के सिटी नेटवर्क यूसीएन के चंदेरी कलाकृति हैंडलूम के प्रचार-प्रसार से चंदेरी साड़ी व हैंडलूम विश्व भर में दूरदराज के विश्व के यूनेस्को से जुड़े हुए पर्यटक यहां आकर उसे समझेंगे देखेंगे और विश्व भर में उसका प्रचार प्रसार करेंगे कालांतर में अगर ऐसा चंदेरी के कलाकृति एवं चंदेरी की बुनकरों  द्वारा बनाए गए साड़ी एवं विभिन्न वस्तुओं का प्रचार प्रसार अगर किया गया तो विश्व बाजार में इसकी मांग बढ़ेगी साथ में ही नई नई कंपनियां चंदेरी में चंदेरी साड़ी एवं अन्य वस्त्रों का बाजार विश्व भर में शोरूम खुलेगी जिससे आने वाले समय में नए बुनकर तैयार होंगे और लोगों को नया रोजगार प्राप्त होगा 
चंदेरी  मैं 1940 में बुनकरों के लिए ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की गई थी जिससे चंदेरी भर के नौजवानों को बुनकर की कला सिखाई गई थी 1945 में रेगम सिल्क नामक धागे का चंदेरी साड़ियों में प्रयोग किया गया रेगम सिल्क कोलकाता एवं गुजरात से इस धागे को लाकर इसके द्वारा साड़ी बुनने का चंदेरी के प्रशिक्षित नई पीढ़ी में साड़ियों में ऐसे धागे का प्रयोग कर साड़ियों के कपड़े को मजबूत एवं टिकाऊ कर चंदेरी साड़ी की प्रसिद्धि बढ़ाई वर्तमान में  4785 बुनकर चंदेरी में घर घर में कार्य कर रहे हैं |
चंदेरी में 2017- 18 के सर्वे अनुसार 14355 लोगों को बुनकर के व्यवसाय में रोजगार प्राप्त है
जिसमें चंदेरी में विभिन्न प्रकार की स्व सहायता सोसाइटी समिति कार्यरत है जिसमें हैंडलूम,  सहकारी समिति, स्व सहायता समूह, मास्टर बुनकर, जैसी कई अन्य स्व सहायता समूह से एवं सोसायटी से चंदेरी के बुनकरों को रोजगार प्राप्त हुआ है यह सारा कार्य    श्रीमंत माधवराव सिंधिया जी एवं श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के अथक प्रयासों से मुमकिन हुआ है सिंधिया जी द्वारा चंदेरी के बुनकरों को समय-समय पर हैंडलूम के द्वारा इस प्रकार अच्छी से अच्छी चंदेरी साड़ियां तैयार की जाए जिसमें आधुनिक प्रकार के हॉलीवुड एवं फैशन डिजाइनिंग के बिना डिजाइन रुको चंदेरी मूवी हुआ तकनीकी सलाह एवं सहायता सिंधिया जी के द्वारा बुनकरों सेंट्रल लाइट मिलाकर पुणे रोजगार एवं व्यापार नया प्राप्त करवाने के लिए नया आयाम साथ ही एक बुनकर कॉलोनी की भी स्थापना की गई जिसमें उस कॉलोनी में पूरी नई सुविधाएं बुनकरों को एवं बुनकर के परिवारों को दी गई है इस कार्य में लगभग 7 करोड़ 84 लाख रुपए का खर्च हुआ है ।  श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 42 करोड़ 80 लाख की लागत से बुनकर पार्क भी स्थापित किया है जिससे आने वाले समय में नए बुनकर अपने द्वारा बनाई गई हैंडलूम साड़ियां एवं अन्य परिधान का प्रदर्शन कर इस बुनकर पार्क से अच्छी रकम प्राप्त कर सकते हैं ।