रेलवे पार्सल भोपाल के चंद कर्मचारी रेलवे को लगा रहे है, लाखों का चूना 

 


मुख्यमंत्री के गृह जिला छिंदबाड़ा का व्यापारी प्रदीप साहू बना रेलवे पार्सल का शिकार 


भोपाल - रेलवे को रेलवे के संबंधित कर्मचारी आपस में सांठगांठ कर षड्यंत्र पूर्वक व्यापारी वा यात्रियों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ निजी स्वार्थ के लिए पार्सल से संबंधित कर्मचारी अधिकारी प्राइवेट टीम को विश्वास में रखकर रेलवे को नुकसान पहुंचा रहेे है । इसका क्लेम भारतीय रेल को करना पड़ता है जिसका खामियाजा रेलवे बोर्ड बुग्गती है ।पार्सल की लोडिंग अनलोडिंग करने वाले प्राइवेट कर्मचारियों के सहयोग से चालबाज भोपाल पार्सल ऑफिसर की करतूत सामने आई है एक व्यापारी के नजर और नॉलेज में रेलवे के विजिलेंस विभाग से व्यापारी विनम्र निवेदन कर रहा है कि इसमें विजिलेंस विभाग हस्तक्षेप जरूर से जरूर करें । व्यापारी ने अपने सीजनेबल माल को किसी कार्यक्रम के लिए 15 नवंबर 2019 को डिलीवरी देनी थी जो आज तक रेलवे ने माल ही नहीं दिया है और व्यापारी ने अभी तक 26 नवंबर 2019 तक ₹50000 माल की छानबीन करने में खर्च कर दिए हैं सीपीएस द्वारा दिल्ली तक व्यापारियों को दूडकिया लगवा दी .भोपाल सीपीएस व्यापारियों का मनोबल तोड़ने के अलावा रेलवे में चोरी होने के किससे जरूर दोहराते हैं और संबंधित व्यापारियों को सबसे ज्यादा यहां वहां माल के छानबीन के लिए भेज दिया जाता है ।
ऐसे में व्यापारी पूरी तरह से थक जाता है ।
भोपाल पार्सल अधिकारी हर बात का मुंह पर जवाब रखता है क्योंकि वह बहुत बड़ा पुराना चालबाज खिलाड़ी है षड्यंत्र रच कर व्यापारियों को ठगने में माहिर साबित हो चुका है कई बार इनके पास असामाजिक लोगों की एक बड़ी टीम है जो पर्दे के पीछे गलत काम करती है उसकी अभिलंब जांच हो ।
पार्सल अधिकारी रेलवे से क्लब दिलवाने का सबसे ज्यादा दबाव बनाते हैं ताकि षडयंत्र कर माल को यहां वहां रखा गया समान जल्द ओने पौने रेट में ठिकाने लगा सके और मजबूर हो जाता है फिर रेलवे को व्यापारी मन ही मन में कोसता है कि रेलवे से माल नहीं मंगवाना चाहिए क्योंकि जगह जगह पर भ्रष्टाचारी व्यापारियों के नजर में दिखाई देने लगती है ।आज देश का व्यापारी रेलवे से माल मंगवाने में कतराने लगा है क्योंकि पार्सल अधिकारियों की नाजायज़ तरीके से परेशान करने का मामला बार-बार सामने आता है और माल ओवर केरी जानबूझकर कर दिया जाता है और तमाम झूठे षड्यंत्र वाले सफाई देते रहते हैं भ्रष्ट अधिकारी व्यापारी को बेवकूफ समझते हैं । भारतीय रेलवे में आज भी ईमानदार अधिकारी और कर्मचारी है जिसके वजह से पूरी रेलवे कामयाब और फायदे में चल रही है ।
मुट्ठी भर चंद भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी उन्हें ही लूटने का काम करते हैं इन भ्रष्ट बेईमान कर्मचारी अधिकारी निजी स्वार्थ के लिए व्यापारी ने ठान लिया है कि मुझे अपना कीमती सामान मिले ना मिले आखिर रेलवे से सामान कैसे चोरी जाता है इसका पर्दाफाश हम विजिलेंस के माध्यम से भी बहुत जल्दी  करवाएंगे इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे व्यापारियों की पूरी लड़ाई अब छिंदवाड़ा जिले के प्रदीप साहू लड़ने को मैदान में उतर गए हैं ।
पार्सल बुकिंग दिनांक 11 नवंबर 2019 बिल्टी क्रमांक नंबर m48 7007 लुधियाना से भोपाल पार्सल भेजे गए थे जिसमें से एक नग प्राप्त हो गया है ।
तीन पार्सल में से दो पार्सल की गांठ आज दिनांक तक आ प्राप्त है ।
लगेज का भुगतान पार्सल विभाग रेलवे को ₹4410 अदा किया गया है । रेलवे के मुख्य पार्सल अधिकारी की चालबाजी का व्यापारियों का माल जानबूझकर षड्यंत्र रच कर  प्लानिंग के मुताबिक अपने लोडिंग अनलोडिंग सहयोगी टीम को पूरी ट्रेनिंग दी गई है .
व्यापारी का माल कैसे आगे भिजवाकर माल को चोरी करवाया जाता है
जिला छिंदवाड़ा का व्यापारी पंजाब के लुधियाना से माल लेकर रेलवे से अपने स्थान के लिए बुक करवाने आता है तो रेलवे के संबंधित अधिकारी पहले तो आपको छिंदवाड़ा के लिए बुक नहीं किया जाता है ।
व्यापारी प्रदीप साहू सामान को छिंदवाड़ा बुक करने के लिए जिस अधिकारी को अपना सामान होता है वह व्यक्ति उन्हें समझाइश देता है कि आपका सामान छिंदवाड़ा के लिए मैं बुक नहीं करुंगा ।
आप भोपाल के लिए मालवा एक्सप्रेस 12920 के ब्रेक बान में करवा देंगे और वहां से आपको छिंदवाड़ा के लिए कई अन्य गाड़ी मिल जाएगी ।
आप अपना टिकट भी भोपाल के लिए ही करा ले यह सलाह देता है ,और सामान भी 11 नवंबर 2019 को वहां से चलकर भोपाल 12 तारीख को पहुंचना था .
भोपाल स्टेशन के संबंधित जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा भोपाल में जानबूझकर सामान ना उतारते हुए अपनी चालबाजी का करतूत चालू हो जाता है ।
षड्यंत्र कर जानबूझकर व्यापारियों का सामान आगे पहुंचाने से भयभीत एवं घबराए हुए व्यापारी अपने सामान को प्राप्त करने के लिए शोषित एवं पीड़ित व्यापारी अपने सामान को प्राप्त करने के लिए भ्रष्ट और बेईमान संबंधित लापरवाही से बचने के लिए मजबूरी में आकर और अपना पीछा छुड़ाने के लिए भेट देना स्वीकार करता है ।


भोपाल से ही यह सब खेल चालू होता है रेलवे में
भोपाल में पार्सल ऑफिस पहुंचकर मुख्य पार्सल अधिकारी से अपने सामान की जानकारी देते हैं , कि हमारा सामान संबंधित लोगों ने भोपाल में अनलोडिंग जानबूझकर नहीं किया गया ।
चालबाजी कदम उठाकर अपनी रणनीति एवं निजी स्वार्थ व व्यापारियों से भारी रकम षड्यंत्र पूर्वक ऐठने के लिए यह सब घनघोर लापरवाही व्यापारियों के साथ बरती जाती है यही सबसे बड़ा ग्रंथ और अपराध कर्मचारियों का है यात्री युवा व्यापारी के साथ बहुत ही घिनौना व्यवहार किया जाता है ।
भोपाल रेलवे के सीपीएस द्वारा व्यापारियों को षड्यंत्र रच कर लिया सलाह दी जाती है कि आप अंबेडकर नगर इंदौर के लिए जाकर आपका सामान एक बार देख लीजिए ताकि आपको मिल जाएगा तो अच्छा होगा आपके लिए यह सब बात षडयंत्र रचने के बाद ही ऐसी मुख्य सलाह दी जाती है ।
मुख्य पार्सल अधिकारी के द्वारा व्यापारी उनकी बात में आकर इंदौर उज्जैन अंबेडकर नगर महू एवं दिल्ली तक होकर आ जाता है ।
भोपाल के संबंधित पार्सल अधिकारी की टीम के जरिए रेलवे से सामान गोल करवाने का मूल्य कारण या है कि व्यापारियों से कैसे पैसा ऐठ आ जाए तो यह सब षड्यंत्र रचने वाले मुख्य सरगना भोपाल के सीपीएस द्वारा रचा जाता है भारी लोडिंग अनलोडिंग करने वाले कर्मचारियों की मिलीभगत से सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा इंडियन रेल को चुना लगाया जाता है यह बात सामने आई है .
एक तो रेलवे के संबंधित अधिकारियों द्वारा व्यापारी को भी परेशान करने की गुमराह करने की नियत इसमें सम्मिलित है ।
संबंधित चंद मुट्ठी भर इक्का-दुक्का भ्रष्ट लापरवाही मान चालबाज ठगी करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा रेलवे को भारी नुकसान पहुंचाते हुए व्यापारियों को फिर क्लेम दिलवाने की भी बात करते हैं ।
भोपाल चीफ पार्सल ऑफिसर का मुख्य उद्देश रहता है ।
कि व्यापारियों का क्लेम अविलंब मिल जाएगा तो व्यापारी पार्सल ऑफिस का चक्कर काटना छोड़ देगा ।
उसके बाद व्यापारियों का षड्यंत्र पूर्वक छुपाया गया माल को अपने ही संबंधित टीम के लोगों द्वारा गोपनीय तरीके से ओने पौने रेट में बिकवा कर एक अच्छी खासी मोटी रकम कमाया जाता है ।
ऐसा व्यापारियों का मानना है यह सब भारतीय रेल को नुकसान पहुंचाने का षड्यंत्र मध्यप्रदेश के भोपाल स्टेशन से संचालित हो रहा है ।
भारतीय रेल को व्यापारियों का सीधा आरोप है कि संबंधित अधिकारियों से खोए हुए माल के बारे में जानकारी पूरी रहती है ।
कहीं भी ऐसा नहीं होता है कि आरपीएफ जीआरपीएफ व अन्य अधिकारी संबंधित लोग जब प्लेटफार्म पर गाड़ी आकर रूकती है तो वहां पर मौजूद रहते हैं वहां पर कोई भी गलत काम नहीं हो सकता है ।
बिगर पार्सल से संबंधित प्राइवेट लोगों की मिलीभगत एवं सरकारी कर्मचारियों के साथ घाट के वजह इस प्रकार के कार्य को अंजाम दिया जाता है ।