भोपाल। राज्य में विधान परिषद गठन को लेकर सुगबुगाहट एक बार फिर तेज हो गई है। इसका गठन कर कमल नाथ सरकार प्रदेश कांग्रेस के एक और चुनावी वादे को पूरा करने की तैयारी में है। देश के आधा दर्जन राज्य, तीन केंद्र शासित प्रदेश में पहले से विधान परिषद अस्तित्व में हैं। तीन अन्य राज्यों को इनके गठन की मंजूरी मिल चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक,विधान परिषद गठन को लेकर संसदीय कार्य विभाग ने कवायद शुरु कर दी है। इसका खाका तैयार कर राज्य सरकार को सौंपा जाएगा। इसी तारतम्य में मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती ने आगामी 29 अक्टूबर को एक उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई है। इसमें विधान परिषद की संभावना, उपयोगिता एवं इसके अमल में आने पर प्रस्तावित सालाना व्यय को लेकर चर्चा होगी। ऐसा हुआ तो मध्य प्रदेश देश का 8वां राज्य बन जाएगा जहां विधानसभा परिषद का गठन हुआ है। इस संबंध में राज्य के जनसंपर्क मंत्री पी.सी.शर्मा ने मीडिया से चर्चा में कहा,कि विधानसभा परिषद में ज्यादा खर्च नहीं आना है। उन्होंने कहा,कि परिषद का गठन कर प्रदेश कांग्रेस अपना वचन निभाएगी।
असंतुष्टों को साधने की कवायद
विधान परिषद के प्रस्तावित गठन को अंसतुष्टों का साधने की कवायद भी माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, 15 साल बाद सत्ता में वापस आई कांग्रेस में अनेक नेता संवैधानिक व महत्व के पद पाने का आतुर हैं। वहीं कई विधायक तो मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए मुख्यमंत्री पर अपने तीखे तेवरों के जरिए आए दिन दबाव भी बनाते रहे हैं। कमल नाथ सरकार के बीते दस माह में ही ऐसे अनेक मौके आए जब मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं सरगर्म हुईं,लेकिन इनक ा नतीजा सिफर रहा। दरअसल, मंत्रिमंडल विस्तार की अपनी एक सीमा है। इसके जरिए सभी असंतुष्टों को नहीं साधा जा सकता। वहीं
सरकारी खजाने की खस्ता माली हालत सरकार को निगम-मंडलों में नियुक्ति की इजाजत नहीं दे रही है। यही वजह है,कि सहकारी संस्थाओं में इक्का-दुक्का पदों को छोड़ मुख्यमंत्री ने अब तक कोई राजनैतिक नियुक्ति नहीं की। सूत्रों के अनुसार,मुख्यमंत्री इन नियुक्तियों के जरिए प्रदेश पर और अधिक आर्थिक बोझ बढ़ाने के पक्ष में भी नहीं है। ऐसे में विधान परिषद के प्रस्तावित गठन को पार्टी के असंतुष्टों को साधने की कवायद माना जा रहा है। वहीं सरकार इस परिषद के जरिए कला,संस्कृति,विज्ञान व शिक्षा जगत के मनीषियों को भी इसमें जगह देकर उन्हें नवाजने का काम कर सकती है।
अब तक इन राज्यों में विधान परिषद
संविधान के अनुच्छेद 169,171(1) व 172(2) में संसद से प्रस्ताव पारित होने व राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद राज्य विधान परिषद का गठन कर सकते हैं। इसी नियम के तहत वर्तमान में तेलंगाना,बिहार, महाराष्ट्र,आंध्रप्रदेश, व उप्र में विधान परिषद गठित हैं। राजस्थान ,असम व उड़ीसा को भी इन परिषदों के गठन की मंजूरी मिल चुकी है। वहीं कें द्र शासित तीन राज्यों में जम्मू-कश्मीर को छोड़ यह परिषदें अस्तित्व में हैं।
कौन हो सकता है सदस्य परिषद में गैर विधायक सदस्य बनने के पात्र हैं। इनकी आयु तीस वर्ष से कम न हो। राज्य विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या के एक तिहाई सदस्य ही इस परिषद में हो सकते हैं। दो साल के अंतराल में एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल पूरा होता है। शेष की सदस्यता छह साल के लिए होती है। परिषद को भंग नहीं किया जा सकता। इसमें राजनीति के अलावा गैर राजनैतिक व्यक्तियों को भी सदस्य बनाया जा सकता है।