अपना आदमी  ✍


बात में बुजुर्गों की एक कहाबत से करने जा रहा हूँ जिसमें बो अक्सर कहाँ करते थे अपना आदमी तो मिट्टी का भला पहली बार मैने हकीकत में महसूस किया बुजुर्गो की कही गई बातें और कहाबते विश्व की किसी भी प्रयोग शाला में नही काटी जा सकती भले ही विज्ञान कितनी भी तरक्की कर ले❗घर से बाहर होने के कारण मुझे जीवन में पहली बार इतनी तेजी से बुखार आया मुझे नही मालूम कि कभी इतनी तेजी से आया हो , मेरे आफिस के सहपाठियों के सहयोग और समर्पण के लिये मेरे पास शब्द नही है किसी ने गाड़ी तैयार की तो किसी के हाथ मे दूध का गिलास किसी ने दवाई लाकर दी तो किसी ने अस्पताल तक अपने हाथ का सहारा किसी ने मेरे कपडो की धुलाई की तो कोई मेरे लिये रात भर जागा ।मुझे ऐसा नही लगा कि में घर से बाहर हूँ❗ मेरे घर परिवार से भी बढ़कर चिंता की उन के इस उपकार के बदले मेरे पास कृतज्ञता ज्ञापित के अलाबा कुछ भी नही है । आज पहली बार अहसास हुआ हम कितनी छोटी छोटी बातों पर एक दूसरे से दुश्मनी पैदा कर लेते है जब कि जीवन कितना छनभंगुर है❓किसी ने कहा भी है" सामान सो बरस का पल भर की खबर नही , आओ उस पल भर को आपसी प्रेम भाईचारे में गुजारे अपनों से अपने कभी अलग ना हो ।


* संदीप नंदन जैन *