भोपाल - बरसात का मौसम था । एक गाय अपने बछड़े के साथ एक घर के बाहर भीगती हुई भूख प्यास से व्याकुल आशा भरी निगाहों से खड़ी थी ! थोड़ी देर के बाद घर की मालकिन की नजर उस पर पड़ी तो उसने बड़बड़ाते हुये गाय को रोटी देने की जगह डंडे से मारकर भगा दिया । गाय भरी बरसात में सड़कों पर चल पड़ी!थोड़ी देर में बो महिला भगवान श्रीकृष्ण जी के मंदिर पर जाकर पूजा अर्चना करने लगी ।आत्मा पर हाथ रखकर पूछिये क्या भगवान आप की पूजा स्वीकार करेंगें..❓कदापि नही ! संसार में एक गाय माँ ही ऐसी होती है जो डंडे खाकर भी अमृत तुल्य दूध देती है! धार्मिक ग्रंथों में भी पहली रोटी गाय को खिलाने का बर्णन है ।हम आस्तिक लोग नास्तिक लोगों से भी खतरनाक है कम से कम नास्तिक दिखाबा तो नही करते ,गाय की दुर्दशा किसी से छुपी नही है तय मानना आप ने जब से दूध पीकर दूध ना देने पर गाय को कसाई के लिये छोड़ा है उस दिन से हमारे पतन की उल्टी गिनती शुरु हो गई है ।गाय की हाय,गाय की आँख के आँसू का परिणाम हम भोग रहे है । अधिक बर्षा,बाढ़, भूकंप, जलप्रलय ये सब परिणाम हमारे सामने है । गाय श्रद्धा,विश्वास का धोतक है उस की पूजा का फल स्वर्ग की संपदा से भी बढ़कर है
^संदीप नंदन जैन^