विवि में मूल्यांकन शिक्षा पर केंद्रित व्याख्यानमाला संपन्न
आज परिवार नाम की संस्था टूट रही है।
सागर । संसार में हम आएंगे, चले जाएंगे परंपराएं, शहर, देश और संस्थाएं बनी रहेंगी, समाज भीड में "परिवर्तित न हो जाए इसके लिए हमें सचेत रहने की जरूरत है। यह बात मूल्य शिक्षा के विशेषज्ञ और विद्यापीठ के प्रो सुरेन्द्र पाठक ने कही। राज्य और पूरी विश्व मानवता के केंद्र में परिवार ही ऐसी संस्था है। जहां से मूल्य शिक्षा का संस्कार व्यक्ति को प्राप्त होता है। आज आधुनिक सभ्यता में परिवार नामक संस्था को विघटित कर दिया है। दुनिया के विकसित देशों में परिवार के विघटित हो जाने के कारण विश्व स्तर पर इसकी चिंता की जा रही है। कि भारत में संयुक्त परिवार टूट रहा है। पूरे विश्व में परिवार रूपी संस्था के रूप में गहरी चिंता देखी जा रही है दुनिया के कई देश भारत की ओर बहुत उम्मीद से इसे देख रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के बहुत सारे देश भारत की और बहुत उम्मीद से देख रहे हैं क्योंकि बहुत सारे देशों में परिवार नामक संस्था खत्म होने के कगार पर है कुछ देशों में सिंगल पेरेंट्स और लिविंग रिलेशनशिप जैसी अवधारणाएं विकसित हो रही है जिसमें संबंध अस्थाई हो गए हैं जबकि संबंध का अर्थ होता है परस्परता में विश्वास और उसकी निरंतरता है जो परिवार में ही संभव है।
वे डा हरसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में भारतीय परंपरा में मूल्य - चेतना के विविध आयाम विषय पर विशेष व्याख्यान मैं अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा यह हमारे परिवार में देश की अदालतों में लगभग 3:30 करोड़ मुकदमे लंबित हैं इनमें से ज्यादातर मुकदमे सिविल केस के हैं सिविल के मुकदमे तभी बनते हैं जब परिवार और परिवारों के बीच में अथवा परिवार के पड़ोसियों के साथ झगड़े आपस में नहीं निपटते हैं, तभी लोग कोर्ट में जाते हैं इसका मतलब है लगभग 3:30 करोड़ परिवार द्वंद्व में है, झगड़े में है यह बहुत ही चिंताजनक बात है।
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा संस्थाओं का दायित्व है बच्चों में मूल्य चेतना का विकास करें मूल्यविहीन संबंध, मूल्यविहीन परिवार और मूल्यविहीन समाज व मूल्यविहीन राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती। मूल्यों की पहचान संबंधों में ही होती है और संबंधों की धुरी परिवार है अतः परिवार को संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है। एआईसीटीई ने इंडक्शन प्रोग्राम के माध्यम से यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यू को विद्यार्थियों में संप्रेषित करने के उद्देश्य से शिक्षकों का प्रशिक्षण प्रारंभ किया है गत वर्ष लगभग 9000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया यूजीसी शीघ्र ही इंडक्शन प्रोग्राम को प्रारंभ करने जा रही है। उन्होंने यह कहा कि सागर विश्वविद्यालय इस तरीके का मूल्य शिक्षा से युक्त इंडक्शन प्रोग्राम को प्रारंभ कर सेंट्रल इंडिया का रिसोर्स सेंटर बन सकता है ।
उन्होंने शिक्षा जगत पर टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि आज शिक्षा सभी को रोजगार तो नहीं दे पा रही है बल्कि स्थिति यह है कि ज्यादातर लोग बेरोजगार रहते हैं ऐसी स्थिति में कम से कम मूल्य और चरित्र की शिक्षा के माध्यम से संस्कार देने का काम तो शिक्षा जगत को करना ही चाहिए ऐसा करने से शिक्षकों का सम्मान भी समाज में बढ़ सकता है और समाज निर्माण का काम भी हो सकता है। प्रो पाठक ने अपने वक्तव्य में यह भी कहा कि सनातन परंपरा में निरंतर तीन धाराएं प्रवाह मान रही हैं पहली धारा चिंतन और दर्शन की है, दूसरी धारा परिवार-समाज में व्यवहार निर्वाह की है, तीसरी धारा राज्य सत्ता से संबंधित है। सनातन परंपरा का अध्ययन करने से यह स्पष्ट होता है कि उसका लक्ष्य मूल रूप से भक्ति और विरक्ति रहा है और सैकड़ों सालों में कोई 1-2 व्यक्ति ही मोक्ष को प्राप्त कर पाए होंगे ऐसा अनुमान लगता है इसका अर्थ है कि ज्यादातर लोगों को परिवार और समाज में न्याय पूर्वक संबंध निर्वाह करते हुए ही जीना पड़ता है, इसलिए चिंतन और दर्शन की धाराओं से निसृत निष्कर्ष व्यवहार की धारा में उतरना चाहिए था व्यवहार की धाराओं को परिष्कृत और परिमार्जित करने का काम अज्ञात कारणों से उपेक्षित रहा है। जिस पर काम किया जाना चाहिए था। इसी प्रकार से चिंतन और दर्शन की धाराओं से निसृत होने वाले निष्कर्ष राज्य संस्थाओं के मूल सिद्धांतों के लिए मार्गदर्शक नहीं रहे हैं। यह एक विचारणीय मुद्दा है जिस पर दर्शन के आचार्यों को विचार करना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रीवा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर उदय चंद जैन शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कुछ मूल्य तो हमेशा सास्वत बने रहते हैं लेकिन कुछ मूल्य परिवर्तनशील होते हैं उन्होंने कहा कि शिक्षा में मूल्य शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।
कार्यक्रम का आयोजक डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. ए डी शर्मा भूषण पाठक का परिचय प्रस्तुत किया और उन्होंने सनातन परंपरा में मूल्य चेतना के विविध आयाम विषय की प्रस्तावना भी प्रस्तुति की एवं आभार प्रदर्शन सांस्कृतिक परिषद के समन्वयक डॉ राकेश सोनी ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में छात्र कल्याण अधिष्ठाता के अनुरोध पर सागर शहर के समाजवादी नेता श्री मधुसूदन सिलाकारी और शिक्षकों के प्रतिनिधि के रूप में डॉ दीपक गुप्ता ने साल और श्रीफल से प्रोफ़ेसर सुरेंद्र पाठक सम्मान किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति भी देखी गई।
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