पैसों का इस्तेमाल अपने पूंजीपति मित्रों को बचाने में कर सकती है केन्द्र सरकार: - शोभा ओझा
भोपाल ~ मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने कहा कि रिजर्व बैंक आँँफ इंडिया अपने 84 साल के इतिहास में पहली बार अपने सरप्लस में से 1 लाख 76 हजार करोड़ रूपये केन्द्र सरकार को देने जा रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा आरबीआई से इस तरह ''प्रोत्साहन पैकेज'' लेना इस बात का सबूत है कि अर्थव्यवस्था की हालत बहुत दयनीय और चिंताजनक है। आर्थिक इमरजेंसी एवं युद्ध जैसे हालात में उपयोग की जाने वाली धरोहर के इस तरह इस्तेमाल से साफ हो गया है कि मोदी सरकार आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह से नाकाम हो गई है।
श्रीमती ओझा ने अपने बयान में आगे कहा कि क्या इसे महज संयोग कहा जा सकता है, कि मोदी सरकार द्वारा रिजर्व बैंक से ली जा रही 1 लाख 76 हजार करोड़ रूपये की राशि, केन्द्रीय बजट आंकलन में ''गायब'' राशि के बराबर है। मोदी सरकार के द्वारा अब तक अपने ''क्रोनी कैपिटलिस्ट'' मित्रों की मदद करते रहने की मानसिकता के कारण इस बात की भी पूरी संभावना है कि इस पैसे का इस्तेमाल सरकार अपने पूंजीपति मित्रों को बचाने के लिए कर सकती है।
श्रीमती ओझा ने उपरोक्त आशंका जाहिर करते हुए यह भी कहा कि दरअसल मोदी सरकार को, यह कथित ''प्रोत्साहन पैकेज'' देने की सिफारिश, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति ने की थी, जिसकी खिलाफत करते हुए, पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल और डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इस्तीफा दे दिया था। साफ है कि रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को ''प्रोत्साहन पैकेज'' देने का यह निर्णय पूरी तरह से गलत और घोर ''स्वार्थपूर्ण'' था।
श्रीमती ओझा ने अपने बयान में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री स्वनिर्मित आर्थिक त्रासदी से निजात पाने के उपाय ढूंढ पाने में पूरी तरह से नाकाम सिद्ध हो रहे हैं और यह एकदम स्पष्ट है कि इन छोटी-छोटी भरपाइयों से भारतीय अर्थव्यवस्था में उभरी गहरी खाई को किसी भी हाल में पाटा नहीं जा सकता है।
श्रीमती ओझा ने अपने बयान के अंत में कहा कि उपरोक्त हालातों के मद्देनजर अब यह स्पष्ट हो गया है कि देश में आर्थिक मंदी का दौर अपने चरम पर है, जिससे गरीबी, आर्थिक असमानता और बेरोजगारी का संकट और गहराने वाला है।