चालीस नदियों को पुनर्जीवित कर, प्रदेश के नागरिकों के जीवन में समृद्धि और खुशहाली का संचार करेगी कमलनाथ सरकार - शोभा ओझा
भोपाल - मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग की अध्यक्षा श्रीमती शोभा ओझा ने, प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के उस निर्णय को काबिल-ए-तारीफ बताया है, जिसमें उन्होेंने प्रदेश की चालीस नदियों को पुनर्जीवित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है, इस निर्णय से प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की कमलनाथ सरकार की प्रतिबद्धता और यहां के नागरिकों के लिए पेयजल और सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के प्रति उसकी तत्परता साफ दिखई देती है, निश्चित ही यह जनहितैषी फैसला प्रदेश के किसानों सहित सभी नागरिकों के जीवन में, समृद्धि और खुशहाली का संचार करेगा, जिससे प्रदेश के विकास की गति और तेज होगी।
आज जारी अपने वक्तव्य में मुख्यमंत्री कमलनाथ के उक्त निर्णय की जानकारी देते हुए श्रीमती ओझा ने कहा कि पिछले कुछ सालों में प्रदेश की कई नदियों का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर पहुंच चुका है, इन्हीं में से 40 नदियों को राज्य सरकार ने पुनर्जीवित करने के लिए चुना है। कमलनाथ सरकार जल संरक्षण की दिशा में विशेष प्रयास कर रही है, सरकार ने राज्य में हर व्यक्ति को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, पानी का अधिकार कानून लागू करने का निर्णय लिया है, जिसके प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
श्रीमती ओझा ने अपने बयान में आगे बताया कि पानी का अधिकार कानून लाने के साथ ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वर्षा और भू-जल संरक्षण को भी बढ़ावा देने की मुहिम को तेज करते हुए, इस काम में जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, कृषि विभाग आदि को निर्देशित किया है। इस काम में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पारंपरिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने की योजना तैयार करने के साथ ही, मानसून के बाद भी वर्ष भर नदियों का प्रवाह बनाए रखने की कार्यजोजना तैयार कर ली है।
श्रीमती ओझा ने कहा कि नदी पुनर्जीवन योजना के तहत छिंदवाड़ा, नीमच, आगर-मालवा, आलीराजपुर, छतरपुर, सिवनी, शहडोल, श्योपुर सहित राज्य के 36 जिलों की, 40 नदियों का चयन किया गया है, जिनकी कुल लंबाई 2192 किलोमीटर और कैचमेंट एरिया दो लाख हेक्टेयर से भी अधिक है, ये नदियां प्रदेश की 1863 ग्राम पंचायतों के 3621 गांवों से होकर गुजरती हैं। औसतन एक नदी का कैचमेंट एरिया 55 किलोमीटर है। इस योजना से नदी कैचमेंट एरिया में आ रहे कुंएं, तालाब, बावड़ियां और हैंडपंप तो रिचार्ज होंगे ही, इन जल स्त्रोतों के प्रति सामाजिक भागीदारी भी बढे़गी, साथ ही इससे परम्परागत जल स्त्रोतों के प्रति संवेदनशीलता व आस्था में वृद्धि होगी। वहीं इससे मिट्टी का कटाव रुकने के साथ ही मिट्टी में नमी बढ़ेगी, जो फसलों की अधिक पैदावार में सहायक होगी।
श्रीमती ओझा ने अपने बयान के अंत में कहा कि उपरोक्त सभी कार्य मनरेगा के तहत कराए जाएंगे, इससे जहां ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, वहीं निर्माण कार्यों के प्रति स्थानीय लोगों में अपनेपन का भाव भी पैदा होगा। जल संरक्षण के लिए तालाब, मेढ़ बंधान, चेक डैम तथा स्टाॅप डैम आदि का निर्माण भी कराया जाएगा। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि पिछली शिवराज सरकार की हवा-हवाई योजनाओं के ठीक विपरीत, कमलनाथ सरकार प्रदेश के विकास के लिए ऐसे ठोस जमीनी फैसले ले रही है, जिससे प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के जीवन में अधिक से अधिक खुशहाली लाई जा सके।