भुखमरी . . .


बात पाँच सितारा होटल से शुरू की जाये और लेंड रोवर या की रेंज रोवर जैसी बिलासता की महँगी गाड़ियों की या की इकनॉमिक हवाई यात्रा की दूसरी तरफ फुटपाथ पर पड़े अधनंगे,भूख प्यास से बेहाल ना तन पर कपड़े ना सर पर छत दिमाग चकरा जाता है । क्या दो- दो भारत है !भारत में भी भारत ! एक बो तस्बीर जहाँ पर स्वर्ग की सब सुबिधायें हैं । गाड़ी,बंगले,कल की कोई चिंता नही,धन की कोई कमी नही ! तो दूसरी तरफ नारकीय जिन्दंगी,पशु से भी बदतर जीवन भगवान की न्याय व्यबस्था से ये सब देखकर थोड़ी देर के लिये तो विश्वास उठ जाता है । पर कर भी क्या सकते है संसार है ये कह कर सब बच लेते है आख़िर इतने सोचने की फुर्सत भला किस के पास है एक प्रार्थना भगवान से है प्रभु या तो इंसान मत बनाना और अगर इंसान बनाते हो तो गरीबी,लाचारी,परेशानी, मजबूरी,असहाय,बीमारी,अशिक्षा,अज्ञानता,दरिद्रता देकर मत बनाना!किसी के सामने गिड़गड़ाने मत देना ! ऐसा पैदा करना किसी के आंगे हाथ ना फैलाना पड़े! खूब मेहनत करने के लिये मजबूत हाथ,पैर, और बजन उठाने के लिये कठोर कंधे प्रदान करना मजबूर नही मजबूत इंसान का निर्माण होना चाहिये ।
संदीप नंदन जैन