भोपाल - दुनिया की सच्चाई में बयां कर रहा हूँ हर नबदंपति बेटा चाहता है बेटी नही ! आखिर क्यों. . .❓उत्तर मिलेगा बेटे से बंश आंगे बढ़ता है ! हर कोख में पल रही संतान की चाह केबल बंश के अंश अर्थात बेटे कि होती है बेटी की नही ये हकीकत है कड़बी सच्चाई है ! यकीन ना हो तो कंन्या भूर्ण हत्या के आंकड़े उठा कर देख लो माँ दुर्गा,माँ लक्ष्मी,माँ सरस्वती,सती साबित्री,सीता माँ, कौशल्या,अंजना सती के देश को आखिर किस की नजर लग गईं । ममतामई माँ, करुणा की मिशाल तो दी जाती है सूनी कलाई पर राखी बाँधने बाली बहन और बुढ़ापे में माँ बाप की बेटे से ज्यादा ख्याल रखने बाली बेटी के उदाहरण क्यो नही ...❓समाज को रुगन मानसिकता त्यागना पढ़ेगा, साधु संतों के प्रबचन अब मात्र बेटियों पर ही होना चाहिये...❓आखिर बेटियों का जन्म भी तो माँ की कोख से ही तो होता है फिर ये भेदभाव क्यों...❓थोड़ी देर के लिये नजर सामने की तस्बीर पर कीजिये पेड़ जिसको दो दुष्ट लोग काट रहे है उस पेड़ की बेटी उस कटती हुई माँ को देखकर अपने स्थान से चलकर माँ के आँचल से लिपट जाती है और दुष्ट को ललकारते हुये कहती है मेरी माँ को मत काटो , माँ के प्रति बेटी के अनन्य प्रेम की इस तस्वीर को शत - शत नमन बंदन, प्रणाम और सो बार दिल से सलाम "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और बुढापे में कभी भी अनाथालय में ना जाओ ये पवित्र पुण्य कमाओ
" संदीप नंदन जैन "