आदमी की औकात


आदमी को अपनी हैसियत पर,अपने पद पर,रुतबे पर,अपनी संपन्नता पर,अपने रूप पर, रंग पर,धन पर,गाड़ी,घोड़े, जमीन,जायदाद,रकम,नोकर, चाकर इन सब अनुकूल परिस्थितियों को देखकर कभी घमंड मत पाल लेना । साहब ये सब पुण्य का खेल है जो आपको आपके अच्छे कर्मों के कारण प्रारब्ध से प्राप्त हुआ है , जो कि बाकी लोगों से आपकी अलग पहचान दिलाता है आम से खास  एक पल के लिये भी गरूर आ जाबे,घमंड आ जाबे,मद हॉबी होने लगे,अभिमान गिरफ्त में लेने के लिये लपके तो दो काम जरूर कर लेना 1- नगर के बाहर शमशान के चक्कर लगा आना एक परिक्रमा कर लेना! 2- किसी अस्पताल में गम्भीर बीमारी से जूझ रहे किसी रुग्ण,बीमार रोगी की दुर्दशा अपनी आँखों से देख आना आपको आपकी हैसियत मालूम पड़ जाबेगी । पचास,साठ, सत्तर किलो का आदमी और चारसौ किलो की लकड़ी में जलने के बाद भी औकात केबल एक मुठी राख भगवान ने नर तन अभिमान के लिये नही विन्रमता,सज्जनता,सादगी,सरलता,नर्मता के लिये दिया है । 
संदीप नंदन जैन