मिलावट को रोकने के लिए प्रशासन हुआ सक्रिय


विदिशा [सुरेश बाबू पाठक ] आजकल समूचे प्रदेश में चल रहे दूध और दूध से बनने वाले पदार्थों में मिलावट को रोकने हेतु प्रशासनिक अमला अपने अपने स्तर पर लगातार कार्रवाई कर रहा है । विदिशा जिले में कलेक्टर के सख्त निर्देश पर खाद्य सुरक्षा विभाग के साथ - साथ राजस्व विभाग के कर्मचारियों को भी एसडीएम के नेतृत्व में लगा दिया गया है । रोजाना शहर के खान - पान प्रतिष्ठानों पर टिफिन सेंटरों पर दूध घी की दुकानों पर रेस्टोरेंट्स स्वीट्स दुकानों पर अधिकारी पहुंचकर इस गंभीर समस्या पर लगाम कसने हेतु पूरा प्रयास कर रहे हैं ।


विगत दिनों एक भाजपा नेता के घी निर्मित कारखाने पर भी एसडीएम लोकेंद्र सरल नायब तहसीलदार पारूल चौधरी ने अपने कर्मचारियों सहित छापामार कार्रवाई की एवं घी के सैंपल शासन की संबंधित लैवेटरी को जांच हेतु भिजवाए और सैंपल की रिपोर्ट आने तक स्टॉक में दर्शाई गई मात्रा को विक्रय हेतु प्रतिबंधित किया गया । वहीं खाद्य सुरक्षा अधिकारी एडमिन पन्ना भी अपने लाव लश्कर के साथ पूरे शहर में मिलावट खोरो के विरुद्ध छापामार कार्रवाई कर रही हैं । सूत्रों से पता लगा है कि पूर्व में लगभग 6 टिफिन सेंटर खाद्य सुरक्षा अधिकारी एडमिन पन्ना ने ताबड़तोड़ इंस्पेक्शन कर सभी को साफ सफाई को कड़ाई से पालन करने हेतु निर्देशित किय । किरण हॉस्टल एवं शेरपुरा में टिफिन सेंटर से भी आटे का सैंपल लेकर शासन को भिजवाया गया । हरीश डेरी डंडा पुरा से भी दूध का सैंपल लिया गया अब देखना है प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद शासन की लैब से जांच के बाद क्या रिजल्ट आते हैं और उसके बाद प्रशासन क्या क्या कार्यवाही करता है चूकी जब कोई मसला शासन-प्रशासन के समक्ष आता है तो शासन हरकत में आ जाता है और प्रशासन को भी सक्रिय कर देता है किंतु बाद में धीरे धीरे कुछ बातें समय के गर्त में छुप जाती हैं मिलावटी खानपान से आने वाली पीढ़ी की नस्ल को इसके भयंकर दुष्प्रभाव से अगर बचाना है तो प्रशासन को मिलावट खोरो के विरुद्ध कार्रवाई नियमानुसार करते रहना चाहिए तथा प्रशासन ऐसा खौफ को बनाए जिसके चलते दूषित पदार्थ बेचने वाले व्यक्ति इसके विक्रय से कोसों दूर रहे बाजार में एक बात और सामने आती है की हम तो विक्रेता हैं निर्माता नहीं इस पर अंकुश तभी लग सकता है जब निर्माता कंपनियों पर अपने प्रोडक्शन को बाजार में तब तक ना लाया जावे जब तक फैक्ट्री स्तर पर उसकी सैंपल कर उसकी रिपोर्ट निर्माता के पास ना आ जावे यदि निर्माता कंपनियों पर गुणवत्ता की रिपोर्ट सही सही पाई जाती है तभी वह बाजार में अपने प्रोडक्ट को बेच  सके ऐसा शासन प्रशासन को सख्त निर्देशित करना चाहिए वर्तमान में मिलावट खोरो के विरुद्ध जागरूकता अभियान तो ठीक-ठाक चलाया जा रहा है अब देखते हैं आगे आगे होता है क्या . . .?