चन्देरी । इतिहासिक नगरी चंदेरी मै चंदेरी रियासत के अंतिम शासक महाराजा मर्दन सिंह जी की 140 वी पुण्य तिथि के अवसर पर इतिहासिक नगरी चंदेरी मै पधारे भारत सरकार द्वारा पद्मश्री रत्न से सम्मानित कैलाश मडवैया ने महाराज मर्दन सिंह जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा की 1857 की क्रांति मै महारानी लक्ष्मीबाई का कंधे से कंधा मिलाकर महाराज मर्दन सिंह ने साथ दिया । लक्ष्मीबाई का हौसला बढाने वाला अगर कोई था तो महाराज मर्दन सिंह थे मर्दन सिंह ने लक्ष्मीबाई से कहा था कि झाँसी बुंदेलाओ की है जो रानी लक्ष्मीबाई को मिली है । झासी की ओर जो सर उठेगा उसे काट दिया जाएगा । बाईसाब लक्ष्मीबाई आप अग्रेजो का सामना करे हम आपके साथ है । अग्रेजो के खिलाफ आप लड़ें हम आपकी पूरी सहायता करेगे । ब्रिटिश सेना का कर्नल ह्यूरोज जिसके पास एक लाख सेना और हजारो घुडसवार सैनिक थे और मर्दन सिंह जी के पास कुछ हजार सैनिक और भरमार बंदूकें थीं । महाराज मर्दन सिंह जानते थे कि कि उनकी सेना ह्यूरोज की सेना के समच्छ कम हैं । और ह्यूरोज की सेना झांसी पर आक्रमण करने वाली है फिर भी महाराज मर्दन सिंह ने महारानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया और ह्यूरोज़ की सेना को झाँसी मै नहीं घुसने दिया कई बार ह्यूरोज की सेना को मर्दन सिंह ने कड़ी टक्कर दी लेकिन अपनो की गद्दारी के कारण अग्रेजों की सेना ने झाँसी को चारों ओर से घेर लेती है । और गद्दारों के कारण झाँसी के किले में अग्रेजो की सेना प्रवेश कर जाती है , तब महारानी लक्ष्मीबाई को किले से कूदना पडता है । ऐसी स्थिति में महाराज मर्दन सिंह अग्रेजो को गुमराह कर देते हैं । और महारानी लक्ष्मीबाई किले से कूंदकर भागने मै सफल हो जाती हैं । और कई बार महाराज मर्दन सिंह ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मै महारानी लक्ष्मीबाई का सहयोग किया और कई बार अग्रेजो को हराया।
पद्मश्री सम्मान से सम्मानित श्री कैलाश मडवैइया ने बताया की कुछ लोग कहते है कि मर्दन सिंह ने अग्रेजो के समक्ष हथियार डाल दिए थे ऐसा नहीं था मर्दन सिंह को अग्रेजो ने अपनो की गद्दारी के कारण धोखे से पकडा था।।
इस अवसर पर प्रथ्वीराज शेषा ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 1857 की क्रांति मै अपना सब कुछ न्यौछावर करने के कारण मर्दन सिंह जी को इतिहास मै हमेशा याद किया जाता रहेगा ।मजीद पठान ने भी श्रद्धांजलि सभा को संबोधित किया कार्यक्रम के अंत में डाँ. राममनोहर पाराशर ने मर्दन सिंह जी को श्रद्धांजलि देते हुए सभी का आभार व्यक्त किया जयनेन्द्र निप्पु जैन ने मंच का संचालन किया इस दौरान भाजपा मण्डल महामंत्री राजेश जैन चंदेरी एसडीएम राहुल गुप्ता ,नायब तहसीलदार हरीश पुरोहित सहित नगर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
महाराज मर्दन सिंह जी का जन्म चंदेरी के राजारानी महल मै सन् 1802 मै हुआ था 1879 मै मथुरा जेल मै महाराज मर्नद सिंह ने 22 जूलाई को अंतिम सास ली और देह रूपी शरीर को छोड दिया क्रातिकारी वीर महाराज मर्दन सिंह को अग्रेजो ने उनकी रियासत लौटाने और शांतिपूर्ण जीवन जीने की बात कही थी लेकिन मर्दन सिंह ने अग्रेजो के समक्ष टुटना स्वीकार किया झुकना स्वीकार नहीं किया ललितपुर चंदेरी तालवेट महाराज मर्दन सिंह जी की रियासत थी आपने 1857 मै अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छोड दिया और अग्रेजो को बुंदेलखंड की सीमाओ से खदेड दिया था।।